डीप-टेक और ग्रासरूट इनोवेशन फेस्टिवल में दिखी नवोन्मेषी भारत की झलक
पंखे के ब्लेड्स पर जमा होने वाले धूल कण पंखे को गन्दा करने के अलावा उसकी कार्यक्षमता को भी प्रभावित करते हैं। इनकी सफाई एक जटिल काम है। अब यह मुश्किल आसान हो गई है, और एक ऐसा फिल्टर ईजाद कर लिया गया है, जिसे पंखे के ब्लेड पर लगाया जा सकता है, जिससे धूल कण ब्लेड पर जमा न होकर फिल्टर में जमा होते रहते हैं। कुछ समय बाद फिल्टर को आसानी से हटाकर साफ किया सकता है।
इसी तरह, तालाबों और नदियों जैसे जलस्रोतों में जलकुंभी का प्रकोप एक चुनौती है। जलकुंभी के सरल निस्तारण का समाधान भी एक नवाचार के माध्यम से खोजा गया है। बीमारियों के बढ़ते बोझ के दौर में पर्याप्त डायग्नोस्टिक सेवाओं की पहुँच सीमित है। इस समस्या का समाधान एक मोबाइल डायग्नोस्टिक लैब लेकर आयी है, जो बाइक पर सवार होकर गाँव-गाँव तक अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार की गई है।
वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकीय नवाचारों पर केंद्रित ऐसे 100 से अधिक अनूठे उत्पादों एवं सेवाओं पर केंद्रित ‘पीपुल्स फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन’ नामक प्रदर्शनी नई दिल्ली में दस दिनों तक लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी रही। भारत के डीप टेक्नोलॉजी (डीप-टेक) और ग्रासरूप नवाचारों पर केंद्रित मिश्रित पारिस्थितिकी तंत्र की झलक इस प्रदर्शनी में देखने को मिली। प्रदर्शनी में शामिल उत्पादों एवं सेवाओं को देखकर स्पष्ट हो जाता है कि भारत के दूरदराज हिस्सों के आम लोग और प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक या इंजीनियर, रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी आवश्यकताओं और चुनौतियों के आधार पर किस प्रकार प्रौद्योगिकीय समाधान और नवोन्मेषी उत्पाद ईजाद कर सकते हैं।
देश के प्रमुख सांस्कृतिक संस्थानों में शामिल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) द्वारा अपने हीरक जयंती वर्ष में इस प्रदर्शनी को आयोजित करने का उद्देश्य रोमांचक और प्रभावी नवाचारों का उत्सव उनके इनोवेटर्स के साथ मनाना और भारत के नवोन्मेषी सामाजिक पारिस्थितिक तंत्र में शामिल लोगों को एक मंच पर लाना है। गत 19 नवंबर को नई दिल्ली स्थित आईआईसी परिसर शुरू हुई यह 10 दिवसीय प्रदर्शनी मंगलवार, 29 नवंबर को संपन्न हो गई है। सेंटर फॉर सेलुलर ऐंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म्स (C-CAMP), बेंगलूरु और ग्रासरूट्स इनोवेशंस ऑग्मेंटेशन नेटवर्क (GIAN), अहमदाबाद के सहयोग से यह प्रदर्शनी इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी), नई दिल्ली द्वारा आयोजित की गई।
सी-सीएएमपी, बेंगलूरु के सीईओ डॉ तस्लीमारिफ़ सैयद ने कहा है कि “डीप-टेक इनोवेशन और ग्रासरूट इनोवेशन का समन्वय इस उत्सव को अनूठा बनाता है। एक ओर, डीप-टेक इस उत्सव को अधिक वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है, तो दूसरी ओर जमीनी स्तर के नवाचार "जनसाधारण" की भावना को स्वर देते हैं।” जीआईएएन के संस्थापक प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने कहा कि “कुछ लोग लंबे समय तक अनसुलझी समस्याओं के साथ नहीं रह सकते हैं और वे यह मानते हैं कि समाज की चुनौतियों का समाधान न करने की जड़ता उनमें नहीं है। यह उत्सव हमें ऐसे सक्रिय एवं नवोन्मेषी व्यक्तियों से मिलने का मौका देता है, जो मानते हैं कि समाधान खोजने के लिए पहल जरूरी है, और ऐसी पहल से ही नवाचारों का जन्म होता है।”
डॉ रेणु स्वरूप, पूर्व सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने कहा है कि “सरकार में 33 वर्षों के कार्यकाल में, 5000 से अधिक नवप्रवर्तकों की मदद करने के बाद, यह पहली बार देखने को मिला है कि डीप-टेक और जमीनी स्तर के नवाचारियों के बीच यह समन्वय हुआ है। ग्रासरूट स्तर पर हों, या फिर डीप-टेक; वे सभी नवाचार हैं; और दोनों ही समाज को प्रभावित करते हैं। आमतौर पर, इन्हें अलग-अलग खाँचों में रखा जाता है, और इनका समागम नहीं हो पाता है। लेकिन, इनमें से कई ऐसे होते हैं, जो वास्तव में एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं।”
उत्सव के दो प्रमुख विषय डीप-टेक इनोवेशन और ग्रासरूट इनोवेशन, हेल्थकेयर, कोविड-19, गैर-संचारी रोगों, कृषि एवं पशु स्वास्थ्य, कृषि मशीनरी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, पर्यावरण एवं स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों से जुड़ी जरूरतों को संबोधित करते हैं। नई पीढ़ी के इनोवेटर्स एवं जिंदगी से जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजने वाले लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से सक्षम प्रौद्योगिकी के एक स्पॉटलाइट के रूप में यह प्रदर्शनी आयोजित की गई है। फिलीपीन्स के ‘ग्रासरूट इनोवेशन्स फॉर इन्क्लूसिव डेवेलपमेंट’ का नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी अपने अनुभवों को साझा करने के लिए प्रदर्शनी में शामिल हुआ।
आईआईसी के अध्यक्ष श्याम सरन ने कहा है कि “हमारे नवप्रवर्तकों का योगदान केंद्र सरकार के "आत्मनिर्भर भारत" मिशन का एक प्रमुख आयाम है। नवोन्मेषी आइडिया, पहल एवं विचारों के आदान-प्रदान के लिए प्रभावी मंच प्रदान करने के लिए आईआईसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आगे भी इस पर हमारी प्रतिबद्धता बनी रहेगी।”
(इंडिया साइंस वायर)
Glimpses of innovative india at deep tech and grassroots innovation festival