अमरेली (गुजरात)। गुजरात विधानसभा के लिए अगले महीने होने वाले चुनाव में कांग्रेस नेता परेश धनाणी के लिए चौथी बार अमरेली सीट पर जीत हासिल करना इस बार खासकर ऐसी स्थिति में आसान नहीं होगा, जब पाटीदार आरक्षण को लेकर आंदोलन फीका पड़ गया है। विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता के सामने आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार की चुनौती है, जो कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस सीट से अपने जिला इकाई प्रमुख कौशिक वेकारिया को मैदान में उतारा है, जबकि आप ने रवि धनाणी को टिकट दिया है।
इन तीनों दलों के उम्मीदवार पाटीदार समुदाय से संबंध रखते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में आधे से अधिक मतदाता पाटीदार हैं। अमरेली में प्रवेश करते ही हर प्रमुख मार्ग पर परेश के होर्डिंग देखे जा सकते हैं, जिनमें यह बताया गया है कि उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कितना काम किया है। उनके समर्थकों का कहना है कि यदि कांग्रेस ने 2017 में बहुमत हासिल किया होता तो परेश मुख्यमंत्री बन सकते थे। विपक्षी दल 2017 में बहुमत के निकट आ गया था, लेकिन बात नहीं बन सकी। धनाणी ने कहा, ‘‘यह चुनाव अहंकारी शासकों और गुजरात के लोगों के बीच की लड़ाई है। अमरेली ने गुजरात को हमेशा रास्ता दिखाया है और इस बार भी वे मुझे चुनेंगे एवं भाजपा के 27 साल के कुशासन के बाद बदलाव का आह्वान करेंगे।’’
इस बीच, वेकारिया ने कहा, ‘‘जब अमरेली के लोग विधायक (परेश) के पास किसी काम के लिए जाते हैं, तो वह कहते हैं कि वह उनका काम नहीं कर सकते क्योंकि मौजूदा सरकार में वह अपनी बात नहीं रख सकते। जिला इकाई अध्यक्ष होने के नाते मैं आपका काम करा सकता हूं और विधायक होने के बाद मेरे लिए जिले के विकास के लिए काम करना और आसान हो जाएगा।’’ उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘धनाणी ने इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए कोई कार्य नहीं किया और इसके लिए सरकार को दोषी ठहराया है। दूसरी ओर वे बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर बता रहे हैं कि उन्होंने अमरेली के लिए बहुत कुछ किया है। वह राज्य एवं केंद्र सरकार की योजनाओं का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। लोग उनसे उकता चुके हैं।’’ इस बीच, अमरेली में घर-घर जाकर प्रचार कर रहे रवि धनाणी ने कहा, ‘‘मैं एक किसान का बेटा हूं। यह किसानों और कृषि उद्योग से जुड़े लोगों का जिला है। कृषक समुदाय इस सरकार से तंग आ चुका है और बदलाव चाहता है।’’
स्थानीय पत्रकार विजय चौहान ने कहा कि इस बार पाटीदार मुद्दा अस्तित्व में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘एक समय यह एक बड़ा मुद्दा था। इसके अलावा ‘आप’ भी ऐसे कुछ वोट हासिल कर सकती है, जिनसे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘युवा लोग, खासकर सूरत में काम करने वाले युवा नया दल होने के कारण ‘आप’ को पसंद कर रहे हैं।’’ परेश धनाणी ने 2002 में इस सीट पर चुनाव जीता था, तब वह मात्र 26 साल के थे, लेकिन 2007 में उन्हें भाजपा के दिलीप संघानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। वह 2012 फिर से इस सीट से जीते और उन्होंने 2017 में इस क्षेत्र पर जीत बरकरार रखी।
Gujarat election not be easy for congress leader dhanani to win amreli seat for the fourth time
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