केंद्र सरकार का वर्ष 2016 में 500 और 1,000 रुपये वाले नोटों को बंद करने का फैसला उच्चतम न्यायालय में सही ठहराए जाने पर गुजरात के व्यापारियों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ व्यापारी नोटबंदी के बारे में सोचकर अब भी खटास से भर जाते हैं जबकि कुछ व्यापारियों का मानना है कि काला धन और जाली नोटों की समस्या दूर करने के लिए यह कदम जरूरी था। उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने सोमवार को अपने फैसले में 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने के सरकार के कदम को 4:1 के बहुमत से सही ठहराया। संविधान पीठ ने बहुमत से सुनाए गए फैसले में कहा है कि नोटबंदी के निर्णय की प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी।
इस फैसले पर अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा के कई व्यापारियों ने कहा कि मुख्य रूप से नकदी पर आधारित उनका व्यापार नोटबंदी के कारण एक महीने से भी अधिक समय तक ठप पड़ गया था। सूरत के कपड़ा व्यापारी मनीष शाह ने कहा, ‘‘हमारा व्यापार तो नकदी पर ही चलता है। हमारे साथ व्यापार करने वाले नकदी लेकर ही आते थे। लेकिन उस समयहम नकदी स्वीकार नहीं कर रहे थे लिहाजा कामकाज ही ठप पड़ गया था। पुराने नोटों को बदलने के लिए हमें लंबी कतारों में लगकर इंतजार करना पड़ता था। इससे हमारा व्यापार बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ था और हमें बहुत कठिनाई आई।’’
सूरत में एक गैराज चलाने वाले सिद्दिकी वसीम ने कहा कि ग्राहक उनसे पुराने नोट लेकर वाहनों की मरम्मत करने का अनुरोध करते थे लेकिन वह मदद करने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘काम न चलने से हमें करीब एक महीने तक बहुत परेशानी उठानी पड़ी। हमारे कुछ शुभचिंतकों ने हमें पैसा दिया जिससे जैसे-तैसे हमारा काम चल पाया।’’ वडोदरा के व्यापारी निमेश आचार्य ने कहा, ‘‘लोगों को एटीएम से पैसा निकलाने में परेशानी आ रही थी। बैंकों के बाहर लंबी कतारें लगती थीं। व्यापारी होने की वजह से मुझे बहुत दिक्कतें आईं क्योंकि हमें तो माल का भुगतान पहले करना होता है।’’ दूसरी तरफ, गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष शैलेश पटवारी ने कहा कि नोटबंदी का फैसला सही था और राष्ट्रहित में था। इससे काले धन, आतंक के वित्त पोषण पर लगाम लगाने में मदद मिली और जाली नोटों की समस्या से भी निजात मिली। उन्होंने कहा कि इस कदम से डिजिटल लेनदेन भी बढ़ा है।
Gujarat traders give mixed reaction to note ban decision
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