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Gujarat Election 2022: गुजरात की तिकड़ी हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश, क्या चुनाव में जीत हासिल करने में हो पाएंगे कामयाब?

Gujarat Election 2022: गुजरात की तिकड़ी हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश, क्या चुनाव में जीत हासिल करने में हो पाएंगे कामयाब?

Gujarat Election 2022: गुजरात की तिकड़ी हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश, क्या चुनाव में जीत हासिल करने में हो पाएंगे कामयाब?

गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए होने वाली वोटिंग के प्रचार का शोर थम चुका है। गुजरात के सियासी रणभूमि में कांग्रेस और बीजेपी के बीच तलवारें खिच चुकी हैं। बीजेपी लगातार सातवीं बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने की जद्दोजहद में लगी है। कांग्रेस जातिय समीकरण के जरिए 27 साल के सत्ता के वनवास को तोड़ना चाहती है। गुजरात में जाति कार्ड कांग्रेस के लिए संजीवनी बनेगा या फिर मुसीबत का सबब, ये तो 8 दिसंबर को ही पता चलेगा? लेकिन सबसे दिलचस्प रहेगा गुजरात की तिकड़ी कहे जाने वाले राजनेताओं का खुद का प्रदर्शन। साल 2017 के विधानसभा का दौर जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ तीनों युवा नेता कंधे से कंधा मिलाकर चलते नजर आए थे। ओबीसी के युवा चेहरा माने जाने वाले अल्पेश ठाकोर को राहुल गांधी ने गले लगाया, पाटीदार को साथ जोड़ने के लिए हार्दिक पटेल और दलित मतों साधने के लिए जिग्नेश मेवानी को कांग्रेस से जोड़ने की कवायद की। कांग्रेस की नीति राज्य के तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच भले ही कांग्रेस सत्ता से दूर रह गई लेकिन बीजेपी के प्रदर्शन को दो अंकों में जरूर बांध कर रख दिया था। लेकिन इस बार का चुनाव काफी अलग माना जा रहा है। राहुल के तीनों ही पुराने साथी अब अलग अलग नजर आ रहे हैं। ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी है कि क्या हार्दिक, अल्पेश, जिग्नेश चुनावी मैदान में फतह हासिल कर पाएंगे। 

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गुजरात का जातिय समीकरण
गुजरात की सियासत में  करीब 52 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) बेताज बादशाह है. राज्य में 146 जातियां ओबीसी की कटेगरी में आती हैं। इसके अलावा 16 फीसदी पाटीदार समुदाय (सामान्य जाति में आता है) को गुजरात का किेंगमेकर कहा जाता है। गुजरात में 7 फीसदी दलित, 11 फीसदी आदिवासी, 9 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी में सामान्य जाति के ब्राह्मण, बनिया और अन्य जातियां शामिल हैं।
पटेल करेंगे हार्दिक स्वागत
गंगासागर झील, गुसरिया झील और धुनिया झील यानी तीन जलाशयों से घिरा वीरमगाम गुजरात की एक पूर्व रियासत है। यह राज्य के अहमदाबाद जिले का एक हिस्सा है जिसमें सबसे अधिक निर्वाचन क्षेत्र हैं। यह जिले के 21 निर्वाचन क्षेत्रों और राज्य के 182 विधान सभा क्षेत्रों में से एक है। कुल 68 गाँव और 1 शहर इस निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं और यहाँ लगभग 3 लाख मतदाता हैं। 29 वर्षीय हार्दिक पटेल अहमदाबाद के वीरमगाम निर्वाचन क्षेत्र के चंद्रनगर गांव के मूल निवासी हैं। वीरमगाम शहर में जन्मे और पले-बढ़े, यह उनका पहला विधानसभा चुनाव है। उनके द्वारा जारी किए गए वादों की सूची में सबसे महत्वपूर्ण वीरमगाम को जिले का दर्जा दिलाना है। आम आदमी पार्टी भी मैदान में है। इसने पहले वीरमगाम सीट से कुंवरजी ठाकोर को मैदान में उतारा, लेकिन फिर अचानक उनकी जगह अमरसिंह ठाकोर को खड़ा कर दिया। वीरमगाम विधानसभा क्षेत्र भी सात विधानसभा सीटों में से एक है जो सुरेंद्रनगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी महेंद्र मुंजापारा ने कांग्रेस के कोली पटेल सोमाभाई गंडालाल को 2 लाख 77 हजार वोटों के भारी अंतर से हराया था। वीरमगाम में दूसरे चरण में 05 दिसंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 08 दिसंबर को होगी। सीमांकन के बाद 2012 में विरामगम सीट पर कांग्रेस की तेजश्री पटेल ने बीजेपी के प्रागजी भाई पटेल को 16,983 वोटों से हराया था। 2017 में तेजश्री पटेल बीजेपी की उम्मीदवार थीं। कांग्रेस के लाखा भरवाड़ ने तेजश्री को 21,839 वोटों से पराजित किया था। अब बीजेपी ने हार्दिक पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी में हार्दिक को लाइन में लगकर टिकट लेना पड़ा। जब हार्दिक अपना नामांकन दाखिल करने गए तो पार्टी का कोई बड़ा नेता उनके साथ नहीं था। लोकल बीजेपी नेता और कार्यकर्ता हार्दिक के चुनाव में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

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जातीय समीकरण
पटेल- 50 हजार
ठाकोर- 65 हज़ार
मुस्लिम- 20 हजार
भरवाड़ और रबारी- 20 हजार
अनुसूचित जाति- 30 हजार
राधनपुर में मिली हार के बाद अल्पेश गांधीनगर दक्षिण से मैदान में 
राज्य में पिछड़े वर्ग की आबादी लगभग 54% है, जिनमें सबसे अधिक 24% कोली-ठाकोर हैं। अल्पेश ठाकोर पिछड़े वर्ग के बड़े नेता हैं। अल्पेश 2017 में कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर राधनपुर सीट से विधायक बने लेकिन 2019 आते-आते कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए। लेकिन 2019 में बनासकांठा की राधनपुर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रघु देसाई से लगभग 3,800 वोटों से हार गए। राधनपुर सीट अल्पेश के लिए सेफ नहीं थी। इसलिए बीजेपी ने अल्पेश ठाकोर को गांधीनगर दक्षिण से उम्मीदवार बनाया है।
वडगाम में 'चक्रव्यूह' में घिरे जिग्नेश
गुजरात के फायरब्रांड नेता जिग्नेश मेवाणी एक बार फिर से वडगाम से ताल ठोंक रहे हैं। उनके सामने घेराबंदी के लिए बीजेपी ने पूर्व कांग्रेसी नेता और विधायक मनीलाल वाघेला को मैदान में उतारा है। जिग्नेश मेवाणी  2017 में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार संग थे। मेवाणी ने बीजेपी के विजयकुमार चक्रवर्ती को 19,696 वोटों से पराजित किया था। पत्रकार और वकील रहे जिग्नेश मेवाणी सामाजिक कार्यकर्ता से आंदोलकारी बने और ऊना आंदोलन से राष्ट्रीय चर्चा में आए। उन्होंने भूमिहीन दलितों को भूमि दिलाने के अलावा 2002 के बाद मुस्लिम दंगा पीड़ितों और फर्जी मुठभेड़ में मारे गए मुस्लिमों के लिए भी काम किया है। इसलिए उनकी मुस्लिमों में अच्छी पकड़ रही है। लेकिन CAA NRC आंदोलन के समय वडगाम के छापे से हुई मुस्लिमों की गिरफ्तारी के बाद मुस्लिमों के एक हिस्से को लगता है कि मेवाणी ने आंदोलन के बाद मुस्लिमों को छुड़ाने के लिए कुछ खास नहीं किया। इसी का लाभ लेते हुए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अपना उम्मीदवार उतारा है।

Gujarat trio hardik alpesh and jignesh will they be able to win the election

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