गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि सीबीएसई और आईसीएसई जैसे अन्य बोर्ड से संबद्ध राज्य के स्कूल पहली से आठवीं कक्षा में गुजराती को एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाने की गुजरात सरकार की नीति को लागू करने से इनकार नहीं कर सकते। गुजरात सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में पेश की गई नीति के कार्यान्वयन के संबंध में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी ने कहा कि अगर सरकार स्कूलों को बाध्य करने में ‘‘असहाय’’ महसूस करती है, तो अदालत आवश्यक निर्देश जारी करेगी।
‘‘मातृअभियान’’ नामक एनजीओ ने इस साल अक्टूबर में जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से गुजराती पर राज्य सरकार की नीति को स्कूलों में अक्षरश: लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता अर्चित जानी ने न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी और न्यायमूर्ति मोना भट्ट की पीठ को सूचित किया कि एक आरटीआई आवेदन के अनुसार, 15 स्कूलों ने बताया है कि गुजराती उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है।
अर्चित ने कहा, ‘‘वे (स्कूल) गुजराती नहीं पढ़ा रहे हैं। और (सरकार की नीति का पालन नहीं करने के लिए) कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उनके (सरकार के) हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार ऐसे स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी।’’ जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि वह नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों का पता लगाने के लिए सभी जिलों से आंकड़े जुटा रही है। न्यायमूर्ति गोकानी ने कहा, ‘‘आप असहाय महसूस नहीं करें क्योंकि आप राज्य हैं और यह आपकी नीति है। आपको (सरकार) उन्हें (स्कूलों को) यह स्पष्ट करना होगा कि उन्हें इस नीति को लागू करना है। अन्यथा, इसके क्या परिणाम होंगे, यह आपको तय करना है। बोर्ड का अपना पाठ्यक्रम हो सकता है, लेकिन वे इस नीति को ना नहीं कह सकते। अगर उन्हें गुजरात में काम करना है, तो उन्हें नीति को लागू करना होगा।
High court said schools should implement gujarat governments policy on gujarati language
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