Politics

साक्षात्कारः प्रतिभा सिंह ने बताया आखिर कैसे चूक गयीं मुख्यमंत्री पद से

साक्षात्कारः प्रतिभा सिंह ने बताया आखिर कैसे चूक गयीं मुख्यमंत्री पद से

साक्षात्कारः प्रतिभा सिंह ने बताया आखिर कैसे चूक गयीं मुख्यमंत्री पद से

राजनीति में बाजी पलटते देर नहीं लगती। हिमाचल प्रदेश में ऐसा ही हुआ। वहां, मुख्यमंत्री के नाम को लेकर खूब सियासत हुई। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह सबसे आगे थीं। पर, अंत में सुखविंदर सिंह सुक्खू बाजी मार ले गए। कांग्रेस को डर था, अगर प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाते हैं तो कहीं भाजपा परिवावाद का मुद्दा ना उठा दे, क्योंकि उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह भी विधायक हैं। ऐन वक्त पर क्यों मुख्यमंत्री पद से पिछड़ गईं प्रतिभा सिंह, इसको लेकर पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने प्रतिभा सिंह से विस्तृत बातचीत की, पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।

प्रश्नः अचानक ऐसा क्या हुआ, आपकी मजबूत दावेदारी पिछड़ गई?
  
उत्तर- कांग्रेस एक अनुशासित पार्टी है, यहां लोभ-लालच से काम नहीं होता। पार्टी व्यक्ति विशेष से कहीं ऊपर होती है। फैसले को लेकर अचानक से सब कुछ नहीं बदला, शीर्ष नेताओं में सामूहिक निर्णय हुआ, सबने मिलकर तय किया, जिसे हमने स्वीकार किया। देखिए, कांग्रेस प्रदेश का विकास चाहती है, जो बीते पांच वर्षों से रुका हुआ है। संगठन से बड़ा कोई नहीं होता। हम संगठन के सिपाही हैं। मैं सांसद हूं, प्रदेश की आवाज संसद में उठाती हूं, फिलहाल मैं अपनी जिम्मेदारी में व्यस्त हूं, खुश हूं। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वाह ईमानदारी से कर रही हूं।

प्रश्नः मुख्यमंत्री बनने के बाद आपकी सुखविंदर सिंह सुक्खू से कोई मुलाकात हुई?

उत्तर- बिल्कुल हुई! बड़े आदर-सम्मान से उन्होंने मेरा सत्कार किया। प्रदेश की भलाई के लिए हम साथ मिलकर काम करेंगे। पहली ही मुलाकात में मुख्यमंत्री जी ने कहा, प्रतिभा जी मैं आपको रिपोर्ट किया करूंगा, आपसे ही सीखूंगा सरकार को चलाना। देखिए, कांग्रेस दूसरी पार्टियों से अलग है, यहां सभी मिलकर काम करते हैं। भाजपा को दो ही लोग चलाते हैं, वैसा कांग्रेस में नहीं है। यहां कोई बड़ा छोटा नहीं होता। मुख्यमंत्री एक बेहद सामान्य परिवार से आते हैं, जमीन से जुड़े नेता हैं, सबका दर्द समझते हैं। वो नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।

इसे भी पढ़ें: साक्षात्कारः वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह ने श्रद्धा मर्डर मामले की कमजोरियों को उजागर किया

प्रश्नः ऐसा तो नहीं कि उपचुनाव में हार के डर से आपको पार्टी ने मुख्यमंत्री नहीं बनाया हो?

उत्तर- बिना वजह जनता पर चुनाव खर्च का बोझ नहीं डालते कभी भी। कोशिश होती है, कोई उप-चुनाव ना हों। हाईकमान ने शायद ऐसा सोचा भी हो, जैसा आप सवाल कर रहे हैं। देखिए, मैं मंडी का प्रतिनिधित्व करती हूं, संसदीय क्षेत्र है मेरा, सांसद हूं वहां से। जनता मेरे कार्यकाल से खुश है, उनके आशीर्वाद से कहीं से भी लड़ सकती थी। जाहिर है अगर मैं मुख्यमंत्री बनती तो दो जगहों पर उपचुनाव करवाने पड़ते। बिना उपचुनाव के ही प्रदेश को अच्छा मुख्यमंत्री मिल गया, इससे अच्छी दूसरी और कोई बात हो ही नहीं सकती।
  
प्रश्नः आपको कब पता चला कि आप रेस से बाहर हो गई हैं?

उत्तर- देखिए, प्रदेश भर की जनता की डिमांड थी कि मेरे परिवार से कोई प्रदेश का नेतृत्व करे। इस लिहाज से मेरे नाम पर समर्थक नारेबाजी कर रहे थे। लेकिन पार्टी ऐसे फैसले बहुत सोच समझकर करती है। जो सबके हित में हो, वैसा हम करते हैं। इसलिए जो निर्णय हुआ, वह सिर आंखों पर। 

प्रश्नः चुनाव तो आपके परिवार को ध्यान में रखकर ही लड़ा गया था?

उत्तर- जी बिल्कुल। मेरे परिवार ने बिना स्वार्थ हिमाचल की आवाम की सेवा की है और ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। पूरे प्रदेश की जनता मेरा परिवार है। मेरे पति के प्रति लोगों का जो अटूट विश्वास था, उसे हम आगे बढ़ाएंगे। वीरभद्र सिंह सरकार के कामों को ध्यान में रखकर ही जनता ने कांग्रेस पर फिर भरोसा जताया है। नई सरकार पूरी ईमानदारी से अपना काम करेगी। जो वादे हमने किए हैं, एक-एक करके उन्हें पूरा करेंगे। ओपीएस पर काम शुरू हो गया है।

प्रश्नः आपके पुत्र को उप-मुख्यमंत्री बनाने की चर्चाएं थीं, नहीं बनाया गया?
  
उत्तर- देखिए, ये पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का निर्णय है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी व पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी के प्रत्येक फैसले का मेरा परिवार सम्मान करता है। विक्रमादित्य सिंह के समर्थक चाहते भी थे कि उनको डिप्टी सीएम बनाया जाए, नहीं बनाया इसका हमें कोई मलाल नहीं है। मैंने पहले भी कहा, मेरा परिवार सदैव से कांग्रेस का समर्पित रहा है। खुद से कभी कोई इच्छा प्रकट नहीं की। वैसे, पार्टी ने देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। बेटे का पूरा कॅरियर पड़ा है, फिलहाल वो विधायक हैं, भविष्य में उनका इस्तेमाल पार्टी अच्छे से करेगी, ऐसी मुझे उम्मीद है।

प्रश्नः कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा परिवारवाद का मुद्दा उठा देती, इसलिए आपके बेटे को उप-मुख्यमंत्री नहीं बनाया?

उत्तर- वो कौन से दूध के धुले हुए हैं। उनके यहां परिवारवाद नहीं है क्या? अनगिनत नेता उनके यहां ऐसे हैं जिनके परिवार के लोग पार्टी में हैं। राजनाथ सिंह के पुत्र विधायक हैं, अमित शाह के पुत्र क्रिकेट चला रहे हैं। हालांकि अब उनके किसी भी आरोपों की परवाह हम नहीं करते, भाजपा एक नंबर की झूठी पार्टी है। उनके नेता सिर्फ बातें करते हैं, धरातल पर सब शून्य। देश के लोग अब समझ गए हैं कि भाजपा उनके लिए सिर्फ परेशानी ही पैदा कर सकती है। महंगाई-बेरोजगारी ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है। पूरे देश को नफरत की आग में झोंका हुआ है।

-प्रतिभा सिंह ने जैसा डॉ. रमेश ठाकुर से कहा

Himachal pradesh congress leader pratibha singh interview

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero