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साल में दो बार मनाते हैं होली का त्यौहार, गुलाल की जगह लगाते हैं हल्दी

साल में दो बार मनाते हैं होली का त्यौहार, गुलाल की जगह लगाते हैं हल्दी

साल में दो बार मनाते हैं होली का त्यौहार, गुलाल की जगह लगाते हैं हल्दी

होली के त्यौहार की लोकप्रियता तो हम सबको पता है। पूरे साल लोग होली का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। देश ही नहीं विदेशों से भी लोग होली मनाने के लिए वसंत आते ही भारत का रुख कर लेते हैं। मथुरा की होली तो पूरी दुनिया में मशहूर है जो एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है। होली का त्योहार साल में एक बार ही आता है और पूरी तरह से लोगों को रंगों में सराबोर कर देता है। लेकिन क्या आप जानते है कुछ जगहों पर होली का त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है।  

कहां मनाते हैं दो बार होली
महाराष्ट्र के कोल्हापुर का नाम तो आप सबने सुना होगा जो खूबसूरत मंदिरों के लिए जाना जाता है। वैसे तो कोल्हापुर से जुड़ी और भी रोचक बातें है लेकिन कोल्हापुर की सबसे बड़ी खासियत है यहां साल में दो बार मनाया जाने वाला होली का त्योहार। मार्च में तो यहां और जगहों की तरह ही रंग और गुलाल की होली खेली जाती है लेकिन दूसरी होली यहां अक्टूबर में खेली जाती है यह होली रंग गुलाल की नहीं हल्दी की होली होती है। इसे विठ्ठल बिरदेव उत्सव के नाम से भी जाना जाता है आम भाषा में इसे हल्दी उत्सव कहा जाता है। इसे कोल्हापुर के पट्टन कोडोली जिले में आयोजित किया जाता है। हल्दी उत्सव तीन दिन तक चलता है।

क्यों खेलते हैं हल्दी की होली
यह हल्दी उत्सव विठ्ठल बिरदेव महाराज की जयंती के मौके पर मनाया जाता है। बिरदेव महाराज, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक में रहने वाले चरवाहा बिरादरी के पारिवारिक देवता हैं। विठ्ठल देव, भगवान कृष्ण का ही रूप हैं। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है।

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त्योहार का मुख्य आकर्षण
हल्दी उत्सव का मुख्य आकर्षण एक बाबा होते हैं जो पूरे 17 दिन तक पैदल चलने के बाद यहां पहुचतें हैं। इनका नाम कैलोबा राजाभाऊ बाघमोरे है। बाबा पूरे साल की भविष्यवाणी जैसे कितनी बारिश होगी खेती की क्या स्थिति होगी करते हैं। बाबा का अभिषेक हल्दी पाउडर और नारियल पाउडर से किया जाता है।

हल्दी उत्सव की धूम
हल्दी की होली देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है पट्टन कोडली में हल्दी उत्सव की बहुत धूम होती है। इस छोटे से जिले में हल्दी उत्सव का नज़ारा देखने के लिए भारी भीड़ होती है। हल्दी उत्सव की यह परम्परा सभी को बहुत आकर्षित करती है। भारी संख्या में श्रद्धालु हल्दी उत्सव में शामिल होते है।

आप भी इस उत्सव का हिस्सा हो सकते हैं और हल्दी की होली का आनंद ले सकते हैं। अपना फोटो कैमरा साथ ले जाना मत भूलिएगा क्योंकि हल्दी उत्सव के दौरान यहां के मंदिरों का नज़ारा देखने लायक होता है

Holi is celebrated twice a year turmeric is used instead of gulal

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