Prabhasakshi Exclusive: शौर्य पथ में ब्रिगेडियर (रि) डीएस त्रिपाठी ने बताया- कितना लंबा चल सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध
नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में आप सभी का स्वागत है। आज की कड़ी में हम बात करेंगे रूस-यूक्रेन युद्ध की। तवांग की घटना के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पहले अरुणाचल प्रदेश के दौरे की। नेपाल में बदले राजनीतिक घटनाक्रमों की और 2023 में भारत के समक्ष खड़ी रक्षा-सुरक्षा चुनौतियों की। हमारे सवालों का जवाब देने के लिए हमेशा की तरह कार्यक्रम में उपस्थित हैं ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी।
प्रश्न-1. माना जा रहा था कि सर्दियां शुरू होने के साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध कमजोर पड़ सकता है लेकिन ऐसा लगता है कि सर्दी में ही दोनों को ज्यादा जोश आ गया है। यूक्रेन ने अमेरिकी हिमार्स रॉकेटों के जरिये बड़ी संख्या में रूसी सैनिकों को एक झटके में मार गिराने का दावा किया है जिसके बाद रूस में युद्ध के खिलाफ माहौल दिखाई दे रहा है। इसी बीच, रूस ने भी जवाबी हमला करते हुए यूक्रेन के कई सैनिकों को मार गिराने का दावा किया है। आपको क्या लगता है, किस दिशा में जा रहा है यह युद्ध?
उत्तर- देखिये इस युद्ध से बचने के लिए तो सभी ने सलाह दी थी लेकिन इसे रोकने के लिए किसी ने खास प्रयास नहीं किये। अब भी जब युद्ध खिंचता चला जा रहा है तो कई देश पीछे से चाहते हैं कि यह चलता रहे क्योंकि इससे उनकी हथियार कंपनियों को लाभ हो रहा है। यही नहीं जिस तरह से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की को अमेरिका दौरे के दौरान पैसा और हथियार मिले हैं उससे लगता नहीं कि अभी यह युद्ध बंद होने वाला है। दूसरी तरफ रूस को भी अब यह अहसास हो रहा है कि उसने जितना हल्का यूक्रेन को आंका था उतना उसे वह भारी पड़ गया है। जिस तरह रूस के सैनिकों को रॉकेट हमले में मारा गया है उसको देखते हुए रूस चुप बैठने वाला नहीं है। माना जा सकता है कि यह संघर्ष तेज ही होगा। साथ ही नाटो अपने रक्षा बजट को एक प्रतिशत से बढ़ाकर दो प्रतिशत करने जा रहा है जिससे कुल मिलाकर हथियार कंपनियों की ही चांदी होगी।
प्रश्न-2. वैसे तो यह राजनीतिक सवाल है मगर रक्षा क्षेत्र से जुड़ा है इसलिए आपसे कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि चीन भारत के साथ उसी सिद्धांत पर अमल कर रहा है, जो रूस ने यूक्रेन के साथ अपनाया है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उत्तर- राहुल गांधी ने जो कुछ कहा उसे जरा दूसरे परिप्रेक्ष्य में देखे जाने की जरूरत है। पहली बात तो यूक्रेन और भारत की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि परिस्थितियां भी अलग हैं और मुद्दे भी। जहां तक राहुल गांधी का यह कहना है कि हम चीन के खतरे को नजरअंदाज कर रहे हैं तो उन्हें समझना होगा कि ऐसा अब नहीं हो रहा है बल्कि पहले होता था। पहले सेना को संसाधन ही मुहैया नहीं कराये जाते थे, जब संसाधन ही नहीं होंगे तो सैनिक कैसे मोर्चा संभालेंगे? राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी पहले कमी थी इसलिए भी चीन हम पर हावी होता रहा। यदि चीन को पहले ही दिन यह बता दिया गया होता कि आपकी हर हिमाकत का जवाब दिया जायेगा तो उसकी इतनी हिम्मत नहीं होती। इसलिए राहुल गांधी का यह बयान सही है कि चीन को हल्के में लिया गया लेकिन यह अब नहीं पहले लिया गया।
प्रश्न-3. तवांग में चीनी घुसपैठ की कोशिश को विफल किये जाने की घटना के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सैन्य तैयारियों और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुलों और सड़कों समेत 28 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को देश को समर्पित किया। सरकार के इन प्रयासों को कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- इस सरकार के कार्यकाल में जिस तेजी के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकास संबंधी कार्य हुए हैं वह ऐतिहासिक है। चीन हम पर इसलिए हावी होता जा रहा था क्योंकि वह विभिन्न सीमाओं पर बहुत जल्दी अपने सैनिकों को पहुँचा सकता था जबकि हमें समय लगता था। हमने 2020 में पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के दौरान जिस तेजी के साथ अपने सैनिकों की तैनाती की उससे चीन को अहसास हो गया है कि यह बदला हुआ भारत है। रक्षा मंत्री ने अपने अरुणाचल प्रदेश के दौरे के दौरान जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया उससे सेना को तो युद्ध की स्थिति में लाभ होगा ही साथ ही स्थानीय स्तर पर भी आम जनता को बड़े लाभ होंगे।
प्रश्न-4. नेपाल में बड़ा राजनीतिक बदलाव हुआ है और चीन समर्थक केपी शर्मा ओली के समर्थन से प्रचंड वहां के प्रधानमंत्री बन गये हैं। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्रधानमंत्री बनते ही चीन की सहायता से बने पश्चिमी नेपाल के पर्यटन केंद्र पोखरा में तीसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया और चीनी सरकार से रेलवे सेवाओं और अन्य परियोजनाओं के निर्माण में सहायता करने का भी अनुरोध किया। नेपाल के इस पूरे घटनाक्रम को कैसे देखते हैं आप? भारत को किन बातों का ध्यान रखे जाने की जरूरत है?
उत्तर- भारत को बहुत ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि चीन हमें चारों ओर से घेरने का प्रयास कर रहा है और भारत के सभी पड़ोसी देशों के बीच अपनी जोरदार पैठ बना चुका है। नेपाल में चीन समर्थक सरकार बनना दर्शाता है कि नेपाली कांग्रेस की सरकार बनवाने के लिए शायद हमने प्रयास ही नहीं किये। नेपाल की सरकार चीन के समर्थन में जो काम कर रही है उससे नेपाल की जनता में भी आक्रोश है। भारत का नेपाल के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता है इसलिए भारत को जनता के स्तर पर वहां संवाद बढ़ाना होगा। लोकतंत्र में कोई भी सरकार जनता की भावना की अनदेखी नहीं कर सकती। हम नेपाली जनता का दिल जीत कर वहां चीन की साजिशों को विफल कर सकते हैं।
प्रश्न-5. साल 2023 की शुरुआत हो चुकी है। राजनीतिक रूप से तो यह साल महत्वपूर्ण है ही मगर रक्षा-सुरक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक रूप से किस तरह 2023 भारत के लिए महत्व रखता है और इस साल हमारे समक्ष रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कौन-सी बड़ी चुनौतियां हैं?
उत्तर- रक्षा-सुरक्षा की दृष्टि से यह वर्ष काफी महत्व रखता है क्योंकि जिस तरह के वैश्विक हालात हैं वह दर्शा रहे हैं कि चुनौतियों के स्वरूप बदल रहे हैं। ऐसे में हम तकनीक के सहारे कितना अपने को आधुनिक बना पाते हैं यह देखने वाली बात होगी। क्योंकि आने वाले समय में युद्ध दिमाग से ज्यादा लड़े जाएंगे।
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