PM की रेस में नीतीश कुमार की दावेदारी में कितना है दम, क्या विपक्ष नेता उन्हें कर पाएंगे स्वीकार?
By DivaNews16 August 2022
PM की रेस में नीतीश कुमार की दावेदारी में कितना है दम, क्या विपक्ष नेता उन्हें कर पाएंगे स्वीकार?
देश में पिछले कई दिनों से राजनीतिक हलचल तेज है। लेकिन सबसे बड़ा उठापटक इन दिनों बिहार में देखने को मिली। यही कारण है कि प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने बिहार को लेकर ही चर्चा की। इस कार्यक्रम में हमेशा की तरह मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। हालांकि, हमने इस बात पर चर्चा बिल्कुल भी नहीं की कि नीतीश कुमार ने यह कदम क्यों उठाया। हमने सिर्फ नीरज कुमार दुबे से यह जानना चाहा कि क्या नीतीश कुमार 2024 में विपक्ष के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं? इसके जवाब में नीरज कुमार दुबे ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि बीजेपी अगला चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही नेतृत्व में लड़ेगी। पूरे देश को पटना में बीजेपी के सभी मोर्चों की जो बैठक हुई उसके बाद से यही संदेश दिया गया है। बीजेपी शायद इस बात को पहले ही समक्ष चुकी थी कि नीतीश कुमार अपना रंग बदलने वाले हैं। यही कारण है कि पटना में ही भाजपा ने ऐलान कर दिया कि साल 2024 का जो चुनाव है वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ जाएगा। हालांकि, भाजपा की ओर से यह भी कह दिया गया था कि वह जदयू के साथ गठबंधन में ही चुनाव लड़ेगी और बिहार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
इसी दौरान हमने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान का भी जिक्र कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई भी क्षेत्रीय दल भाजपा के सामने कुछ नहीं है। इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि भाजपा शायद ऐसी एक पार्टी है जिसको सबसे ज्यादा धोखा क्षेत्रीय दलों से ही मिला है। उन्होंने ममता बनर्जी, मायावती, शिवसेना, अकाली दल जैसे दलों और नेताओं का जिक्र किया। यही कारण है कि बीजेपी आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रही है। बीजेपी आलाकमान लगातार अपने नेताओं को जमीन पर काम करने के लिए कह रही है। इसी के संदर्भ में जेपी नड्डा का बयान होगा। भाजपा गठबंधन की राजनीति को भी बनाए रखना चाहती हैं और अपने पार्टी को मजबूत भी करना चाहती हैं। इसके बाद एक बार फिर से हमारी चर्चा नीतीश कुमार पर चले गए। नीरज दुबे ने कहा कि नीतीश कुमार को उनके जो नेता है वह लगातार पीएम मैटेरियल बता रहे हैं। इस पर नीरज दुबे ने भी साफ तौर पर तंज कसते हुए कहा कि यह देखना होगा कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल तो बाद की बात है, क्या वह सीएम मटेरियल हैं?
नीरज दुबे ने कहा कि 2020 में जो बिहार विधानसभा के चुनाव हुए थे, उस दौरान एनडीए ने नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा। लेकिन गठबंधन मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा छू पाई थी। नीतीश कुमार की पार्टी तो 43 सीटों पर सिमट गई थी। नीतीश कुमार की लोकप्रियता में काफी गिरावट भी देखने को मिली थी। प्रभासाक्षी के संपादक ने साफ तौर पर कहा कि बिहार ने अभी भी उस तरीके से प्रगति नहीं किया है जिस तरह की उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि जो मुख्यमंत्री विशेष राज्य की मांग के मुद्दे पर अड़ा रहे, जाति आधारित जनगणना की मांग पर अड़ा रहे, वह अपने राज्य को कैसे आगे कर पाएगा? इसके साथ ही नीरज दुबे ने बिहार में उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली पर भी सवाल पूछे। नीतीश के पीएम मैटेरियल पर नीरज दुबे ने कहा कि उन्होंने हाल में ही एक बयान दिया था कि मुझे देश भर में इस मुद्दे को लेकर फोन आ रहे हैं।
इस पर नीरज दुबे ने कहा कि भले ही नीतीश कुमार को फोन आ रहे होंगे। लेकिन प्रधानमंत्री पद की रेस में वह अकेले नहीं हैं। नीतीश कुमार के अलावा ममता बनर्जी, राहुल गांधी, शरद पवार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव जैसे नेता भी प्रधानमंत्री पद की रेस में अपनी दावेदारी को मजबूत करने की कोशिश में है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इन विपक्षी नेताओं में आपस में एकता कभी नहीं हो सकती। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लगातार कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रहे हैं। वह लगातार अकेला चलने की भी कोशिश में हैं। अगर कांग्रेस के 2 राज्यों में सरकार है तो केजरीवाल भी दो राज्यों में सत्ता में है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय नेताओं को छोड़ दें तो असली टक्कर तो भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होनी है। क्या कांग्रेस नीतीश कुमार के नाम पर चुनाव लड़ने को तैयार होगी?
इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि 2024 चुनाव से पहले 11 राज्यों में विधानसभा के चुनाव है। इन 11 राज्यों में आधा से ज्यादा राज्य तो ऐसे हैं जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। इसे भी 2024 के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा सकता है। कांग्रेस का प्रदर्शन अगर ठीक रहता है तो वह नीतीश कुमार को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि नीतीश कुमार के मुताबिक वह विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। लेकिन उन्हें सबसे पहले अपनी विश्वसनीयता को साबित करनी होगी। वह ऐसे पाला बदलते रहेंगे तो विपक्ष का कोई भी नेता उन पर आंख मूंदकर यकीन नहीं कर सकता है।
- अंकित सिंह
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