सरकार के अनुसंधान संगठनों आईसीएआर और आईएआरआई ने काबुली चने की सूखे के प्रति सहनशील किस्म ‘पूसा जेजी 16’ का विकास है। यह किस्म मध्य भारत में काबुली चने की उपज बढ़ाने की क्षमता रखती है। एक बयान में कहा गया है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जेएनकेवीवी) जबलपुर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर और आईसीआरआईएसएटी, पाटनचेरु, हैदराबाद के सहयोग से सूखा सहिष्णु और अधिक उपज देने वाली काबुली चने की किस्म ‘पूसा जेजी 16’ को विकसित किया है।
यह किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के मध्य क्षेत्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उत्पादकता में वृद्धि करेगी। इन क्षेत्रों में सूखे की वजह से उपज का कभी-कभी 50-100 प्रतिशत नुकसान हो जाता है। बयान में कहा गया है कि काबुली चने की ‘पूसा जेजी 16’ किस्म को ‘जीनोमिक असिस्टेड ब्रीडिंग’ तकनीकों का उपयोग करके विकसित किया गया है। ..अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम द्वारा राष्ट्रीय स्तर के परीक्षण के माध्यम से इस किस्म की सूखा सहिष्णुता की पुष्टि की गई थी।
Icar iari develops high yielding chickpea variety pusa jg 16
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