केंद्र और राज्य सरकारें अगले वित्त वर्ष में बाजार से कुल 2.3 लाख करोड़ रुपये अधिक का कर्ज लेने का प्रावधान कर सकती हैं। हालांकि, केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटा अनुमान से कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रह सकता है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। इक्रा रेटिंग्स ने अनुमान जताया कि पुराने कर्ज को अधिक मात्रा में चुकता करने से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की सकल बाजार उधारी भी बढ़ेगी।
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि केंद्र और राज्यों का कुल कर्ज 2022-23 के 22.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 24.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा। इसमें केंद्र की उधारी बढ़कर 14.8 लाख करोड़ रुपये और राज्यों की उधारी 9.6 करोड़ रुपये रह सकती है। एजेंसी ने यह भी कहा कि केंद्र 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 फीसदी करने का लक्ष्य लेकर चल सकता है जो चालू वित्त वर्ष के अनुमानित 6.4 प्रतिशत के घाटे से कहीं बेहतर है। एजेंसी की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वैश्विक वृद्धि पर मंदी के असर की आशंका बढ़ती जा रही है।
ऐसे में 2023-24 के बजट में घरेलू वृद्धि की गति को बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए और इसके साथ ही वित्तीय समावेशन के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता दिखानी होगी और बाजार उधारी में बढ़ोतरी को सीमित करने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी बजट में केंद्रीय पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर 8.5-9 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है और सब्सिडी घटाने के रास्ते राजकोषीय घाटे को कम करके जीडीपी के 5.8 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा जाएगा। इसके बावजूद, ऋणों को चुकता करने के बाद केंद्र की सकल बाजार उधारी 2022-23 के 14.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 14.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।
नायर ने कहा कि राजस्व घाटा 10.5 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2023-24 में 9.5 लाख करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 17.5 लाख करोड़ रुपये से मामूली रूप से घटकर 17.3 लाख करोड़ रुपये का अनुमान है। इस तरह जीडीपी के हिस्से के रूप में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत से घटकर 5.8 प्रतिशत पर आ सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष कर और जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी के बूते शुद्ध कर प्राप्तियां 2022-23 में बजट लक्ष्य से 2.1 लाख करोड़ रुपये अधिक रह सकती हैं। प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में दस जनवरी तक 24.58 प्रतिशत बढ़कर 14.71 लाख करोड़ रुपये रहा है जो बजट अनुमान के 86 प्रतिशत से भी अधिक है। नायर ने कहा कि 2023-24 में सरकार की शुद्ध उधारी 10.4 लाख करोड़ रुपये हो सकती है जो 2022-23 की 10.9 लाख करोड़ रुपये से कम है। लेकिन अधिक कर्ज चुकता करने से सकल बाजार उधारी 14.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 14.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।
Icra said fiscal deficit expected to be kept at 58 percent in next fiscal year budget
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