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बाजार में हल्के तेलों की आपूर्ति कम होने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

बाजार में हल्के तेलों की आपूर्ति कम होने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

बाजार में हल्के तेलों की आपूर्ति कम होने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

जाड़े की मांग आने और आपूर्ति घटने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौला, कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन कीमतों में तेजी आई। निर्यात मांग होने से तिल तेल के भाव भी सुधार के साथ बंद हुए। कारोबारी सूत्रों ने कहा कि विदेशों से आयात मांग होने की वजह से तिल तेल के भाव में पर्याप्त सुधार आया। किसानों ने पिछले साल अगस्त में सोयाबीन लगभग 10,000 रुपये क्विंटल के भाव परबेचा था जो इस बार 5,500-5,600 रुपये क्विंटल के भाव पर बिक रहा है।

हालांकि यह कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक ही है पर पिछले साल के भाव के मुकाबले कम है। इस बार किसानों ने बीज भी महंगा खरीदा था। जिसकी वजह से किसान कम भाव में बिकवाली करने से बच रहे हैं। इस वजह से सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया। सोयाबीन तेल संयंत्र वालों की पाईपलाइन खाली होने से भी सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में सुधार है। सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेल मामलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार को जोरदार प्रयास करने होंगे और इसके लिए सबसे अहम है कि खाद्यतेलों का वायदा कारोबार न खोला जाए। इससे केवल सट्टेबाजी को बल मिलता है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 के अप्रैल-मई महीने में जब आयातित तेलों की भारी कमी हुई थी तो देशी तेल-तिलहनों की मदद से इस कमी को पूरा करने में सफलता मिली थी और उस वक्त खाद्य तेलों का वायदा कारोबार भी बंद था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भी देश में तेल तिलहन उत्पादन बढाने और एक समय आत्मनिर्भरता हासिल कर लेना बहुत जरूरी है। विदेशी बाजारों की गिरावट और तेजी से घरेलू तेल उद्योग, किसान और उपभोक्ता परेशान हैं।

सूत्रों ने कहा कि वर्ष 1991-92 में खाद्यतेलों का वायदा कारोबार नहीं होने पर भी खाद्यतेल मामले में देश लगभग आत्मनिर्भर था। इसके साथ ही तिलहनों के डी-आयल्ड केक (डीओसी) और तिलहन का निर्यात करके देश पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भी कमाता था। लेकिन आज देश की खाद्यतेल मामले में विदेशों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है और भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च भी करना पड़ रहा है।

सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने से विदेशों पर हमारी निर्भरता घटेगी, देश के तेल प्रसंस्करण मिलों को फायदा होगा, लोगों को रोजगार मिलेंगे, सबसे बड़ी बात कि देश के बहुमूल्य विदेशीमुद्रा की भारी मात्रा में बचत होगी। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 7,475-7,525 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,810-6,870 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,620 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,520-2,780 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 15,400 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,340-2,470 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,410-2,525 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 15,100 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,550 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,800 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,800-5,900 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज 5,610-5,660 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

Improvement in oil oilseed prices due to less supply of light oils in the market

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