इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इस समय राजनीतिक कोहराम मचा हुआ हैं। पाकिस्तान की आवाम में इमरान खान के लिए प्रेम है और लोगों के अंदर इमरान के लिए सहानुभूति भी हैं। इसका एक नजारा इमरान खान की लॉन्ग मार्च के दौरान इकठ्ठा हुई भीड़ से देखने को मिला हैं। लाहौर से इस्लामाबाद की ओर कूच करने वाली इमरान खान की लॉन्ग मार्च ने मौजूदा शहबाज सरकार की नाक में दम कर दिया हैं। आंतरिक सूत्रों का कहना है कि इमरान की मार्च से शहबाज शरीफ का खेमा हिल गया है और वह कुछ भी करके मार्च को खत्म करना चाहता हैं। भीड़ को देखते हुए 13000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया हैं। वहीं मीडिया को भी कवरेज करने से रोका जा रहा हैं। इस्लामाबाद पुलिस ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए होटलों और अतिथि गृहों को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाली रैली में हिस्सा लेने वाले उनके समर्थकों को ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराने से रोक दिया। इमरान खान देश में फिर से जनरल चुनाव करवाना चाहते हैं। इमराम को विश्वास है कि पाकिस्तान की आवाम उनका साथ देगी क्योंकि शहबाज शरीफ ने आइन (संविधान) का अपमान किया हैं।
यदि पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति की बात की जाए तो इस समय इमरान खान पासा पलट सकते हैं। उनका मार्च इस बात की चीख-चीख कर गवाही दे रहा हैं। माना जा रहा है कि मार्च के बाद पाकिस्तान में कुछ बड़ा हो सकता हैं। अनुमान तो यह भी लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में इमरान खान तख्ता पटल सकते हैं और एक बार फिर से सत्ता में आ सकते हैं। दूसरी तरफ देखा जाए तो आवाम के साथ साथ पाकिस्तानी सेना किसको समर्थन देती हैं यह भी बहुत मायने रखता हैं। इमरान खान के सत्ता में लौटने के बीच यदि कोई आ सकता है तो वह है पाकिस्तान की सेना। पिछले कार्यकाल में पाकिस्तानी सेना का इमरान खान के साथ कुछ ज्यादा बेहतर रिश्ता नहीं बन सका। इमरान खान ने कई बार मुखर होकर पाक की सेना के खिलाफ जहर भी उगला हैं। अब देखना होगा कि पाकिस्तान में क्या होता हैं!
शहबाज शरीफ की सरकार पर यह भी आरोप लगा है कि वह अमेरिका के इशारों पर काम करती हैं। कहा जा रहा है कि शहबाज शरीफ की पार्टी हमेशा से ही अमेरिका की वफादार रही हैं ऐसे में जब इमरान खान ने मुखर होकर अमेरिका के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया था, यह बात अमेरिका को पसंद नहीं आ रही थी इस लिए अमेरिका ने पाकिस्तानी राजनीति में अप्रत्यक्ष ढंग से दखल देकर तख्ता पटल दिया और कुर्सी पर शहबाज सरकार को बैठा दिया। अब इमरान खान अगर सत्ता में वापसी करते हैं तो अमेरिका का पासा पलट सकता हैं।
आपको बता दे कि इमरान पाकिस्तान सरकार पर जल्द आम चुनाव कराने की तारीख घोषित करने का दबाव बनाने के मकसद से रैली निकाल रहे हैं। पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पीईएमआरए) ने 28 अक्टूबर को एक अधिसूचना जरी कर कहा था कि उसने भी टेलीविजन चैनलों को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेताओं के भाषणों और रैलियों का सीधा प्रसारण न करने का निर्देश दिया है। प्राधिकरण ने कहा था कि एक भाषण के दौरान यह देखा गया कि आचार संहिता और अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए ‘सरकारी प्रतिष्ठानों के खिलाफ बयानों का सीधा प्रसारण किया गया।’ पीईएमआरए ने इस आदेश का अनुपालन न करने पर कानूनी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी।
पीटीआई का ‘हकीकी आजादी मार्च’ शुक्रवार दोपहर को लाहौर में लिबर्टी चौक इलाके से शुरू हुआ। पार्टी ने लाहौर के कई इलाकों में भी ताकत का प्रदर्शन किया। यह मार्च गत रात दाता दरबार में रुका और शनिवार को फिर से शुरू होगा। इमरान ने कहा है कि कोई भी पीटीआई के इस लंबे मार्च को नहीं रोक सकता और उनके इस्लामाबाद पहुंचने तक पार्टी समर्थक अगले आदेश का इंतजार करें। पीटीआई प्रमुख ने शनिवार को एक टीवी चैनल द्वारा ट्वीट किए गए वीडियो में एक पत्रकार से कहा, ‘‘जब हम इस्लामाबाद पहुंचेंगे तो क्या होगा, यह जानने के लिए आपको इंतजार करना होगा।’’ इस्लामाबाद पुलिस ने होटलों और अतिथि गृहों को इस मार्च में भाग ले रहे लोगों को ठहरने की सुविधा देने से रोक दिया है। पुलिस ने एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर यह निर्देश दिया है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है, ‘‘होटलों और अतिथि गृहों की रोजाना जांच की जाएगी। आदेश का पालन न करने वाले प्रतिष्ठानों को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
Imran khan turn america dice march shook the foundation of shahbaz government hope of a coup
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