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Tripura: विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे

Tripura: विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे

Tripura: विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे

त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस ने काफी विचार-विमर्श के बाद अपनी प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबले के लिए आपस में हाथ मिला लिया है। भाजपा ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह क्षेत्रीय आदिवासी संगठन आईपीएफटी के साथ अपना गठबंधन बरकरार रखना चाहती है। वहीं, नवगठित आदिवासी पार्टी ‘टिपरा मोथा’ चुनाव में उतरने के लिए एक साझेदार की तलाश में है। टिपरा मोथा ने अपने गठन के कुछ महीनों के भीतर ही स्वायत्त जिला परिषद चुनावों में जीत हासिल की थी।

अलग टिप्रासा राज्य की उसकी मांग का राज्य की किसी भी प्रमुख पार्टी ने समर्थन नहीं किया है। पिछले महीने राज्य में अपने पूरे संगठन में फेरबदल करने वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा है कि वह चुनाव अकेले लड़ने के लिए तैयार है। भाजपा इस विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ ही अपनी ‘‘डबल-इंजन’’ सरकार के विकास संबंधी लाभ पर जोर दे रही है। वहीं, वाम मोर्चा दो मुद्दों-भ्रष्टाचार और अराजकता पर जोर देते हुए राज्य की सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहा है।

माकपा के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी और कांग्रेस ‘‘लोगों की आकांक्षाओं और भाजपा को हराने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए’’ सीट का सावधानीपूर्वक बंटवारे करने के लिये रणनीति तैयार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और लोगों की आवाज दबाई जा रही है। वे चाहते हैं कि राज्य में भाजपा का शासन खत्म हो। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए हमने चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया है।

भाजपा को हराना हमारा प्रमुख एजेंडा है।’’ त्रिपुरा में वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त गए गए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक ने दावा किया कि पर्याप्त वोट पाने में विफल रहने पर भाजपा अनुचित तरीकों का सहारा लेने की कोशिश कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा न हो। भाजपा लोकतंत्र के लिए खतरा है।’’ भाजपा ने माकपा-कांग्रेस गठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह किसी आश्चर्य के तौर पर सामने नहीं आया है, क्योंकि दोनों दलों ने हमेशा खुद को एकदूसरे के प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश करते हुए गुप्त रूप से संबंध बनाए रखे हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, ‘‘ अब तक उन्होंने गुप्त रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं। वास्तव में, माकपा 25 साल तक त्रिपुरा पर इसलिए शासन कर सकी, क्योंकि उसका कांग्रेस के साथ तालमेल था।’’ पिछले कुछ हफ्तों से जनसभाओं को संबोधित कर रहे मुख्यमंत्री माणिक साहा यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वह ऐसी हर रैली में भाजपा सरकार की पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियों का उल्लेख करें। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले मुख्यमंत्री को बदल दिया।

समर्थन जुटाने के लिए राज्यव्यापी जन विश्वास यात्रा शुरू की है, जिसे केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने हरी झंडी दिखाई थी। सत्तारूढ़ भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुब्रत चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हमारा चुनाव अभियान जल्द ही तेज किया जाएगा। पांच जनवरी को अमित शाह जी द्वारा शुरू की गई आठ दिवसीय जन विश्वास यात्रा को अच्छा समर्थन मिला है। हम अगले चुनाव में कम से कम 50 सीट जीतेंगे।’’

टिपरा मोथा के सूत्रों ने कहा कि पार्टी प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा की नजर न केवल ‘त्रिपुरा ट्राइबल ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल’ (टीटीएडीसी) द्वारा प्रशासित क्षेत्र में, बल्कि सभी जिलों में आदिवासी वोट को मजबूत करने पर है। संगठन ने पहले घोषणा की थी कि वह आगामी चुनावों में 40 सीट पर चुनाव लड़ेगा। इसने आईपीएफटी को गठबंधन का एक निमंत्रण भी दिया है। कांग्रेस और माकपा के सदस्यों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि उनके नेतृत्व का मानना है कि टिपरा मोथा का प्रभाव काफी हद तक 20 एसटी (अनुसूचित जनजाति) निर्वाचन क्षेत्रों तक सीमित रहेगा और 40 सीट का दावा मात्र दिखावा है।

In tripura political parties engaged in planning strategy before assembly elections

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