अपनी-अपनी सेना को एक्शन मोड में रखने की कोशिश में भारत और चीन, जानें आखिर क्या है भविष्य की रणनीति
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध किसी से छिपा नहीं है। दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन तनाव अभी भी बरकरार है। इन सबके बीच दोनों ही देशों की सरकार अपनी सेना को एक्शन मोड में रहने को कह रही है। उधर, दोबारा सीपीसी का महासचिव बनने के बाद शी जिनपिंग ने अपनी सेना को संबोधित करते हुए साफ तौर पर कहा है कि उसे युद्ध लड़ने के लिए और उसे जीतने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा। इसके साथ ही उन्होंने अपनी सेना को क्षमता भी बढ़ाने को कहा है। दूसरी ओर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच सेना के कमांडरों से आह्वान किया कि सेना की परिचालन की तैयारी हमेशा उच्च स्तर पर होनी चाहिए। दोनों नेताओं के बयानों के बाद भविष्य को लेकर कई तरह की आशंकाएं पैदा हो रही हैं।
शी जिनपिंग का बयान
सीएमपी प्रमुख के रूप में अपने पदभार का ग्रहण करने के बाद अपनी सेना को संबोधित करते हुए शी जिनपिंग ने कहा कि चीन की सेना से साफ तौर पर युद्ध लड़ने के लिए और उसे जीतने के लिए तैयार रहने को कहा। साथ ही साथ उन्होंने सेना को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भी कहा है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि दुनिया पिछले एक सदी से बहुत ही अधिक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता एवं अनिश्चितता के खतरे का सामना कर रही है और सेना के सामने कठिन कार्य है। अपने भाषण उन्होंने किसी देश विशेष का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका यह बयान संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता के बीच आया है।
चीन का कहा कहा है विवाद
भारत और चीन के बीच मई 2020 से लगातार पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बरकरार है। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करता है, वहीं ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम दक्षिण चीन सागर के हिस्सों पर अपने-अपने दावे रखते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप तथा सैन्य परिसर बनाये हैं। उसका पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है। चिनफिंग ने कहा कि सैन्य नेतृत्व को 2027 तक पीएलए को विश्वस्तरीय सशस्त्र बल बनाने के लक्ष्य को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए जिसका मोटा-मोटा अर्थ इसे अमेरिकी सशस्त्र बलों के समकक्ष बनाने से लगाया जा रहा है।
राजनाथ का बयान
सेना के कमांडरों के शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम के अंतर्गत उनके सम्मेलन में राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच बुधवार को सेना के कमांडरों का आह्वान किया कि सेना की परिचालन की तैयारी हमेशा उच्च स्तर की होनी चाहिए। सिंह ने देश के सबसे भरोसेमंद और प्रेरक संगठनों में से एक भारतीय सेना के प्रति अरबों नागरिकों के विश्वास को दोहराया। इसमें कमांडर चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा कर रहे हैं तथा इसमें वर्तमान सुरक्षा तंत्र के लिए चुनौतियों के सभी पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श किया जा रहा है। सम्मेलन के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ बातचीत रहा, जिसका उद्देश्य भारतीय सेना की ‘‘भविष्य के लिए तैयार बल के रूप में परिवर्तन की आवश्यकता’’ योजनाओं की जानकारी प्रदान करना था। रक्षा मंत्री ने सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च परिचालन तत्परता बनाए रखने के लिहाज से भारतीय सेना की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय सेना और उसके नेतृत्व पर पूर्ण विश्वास और भरोसा है।
India and china trying to keep their army in action mode know what is the future strategy