नयी दिल्ली। भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत सीमा शुल्क का लाभ मिलने से भारतीय परिधान निर्यातकों को अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में उस देश में अधिक बाजार पहुंच कायम करने में मदद मिलेगी। परिधान निर्यात संवर्द्धन परिषद (एईपीसी) ने मंगलवार को यह बात कही। यह समझौता 29 दिसंबर से लागू हो रहा है। एईपीसी के उपाध्यक्ष सुधीर सेखरी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी गोलार्ध में, कपड़ों का सबसे बड़ा आयातक है।
जहां ऑस्ट्रेलिया में परिधान के आयात में चीन की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक की है, वहीं भारत की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत-ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए (आर्थिक सहयोग और व्यापार करार) के लागू होने के साथ भारत को ऑस्ट्रेलियाई बाजार में आयात के लिए वियतनाम और इंडोनेशिया के मुकाबले मामूली शुल्क लाभ होगा।’’
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में भारत के तैयार परिधान निर्यात में पिछले पांच वर्षों में औसतन 11.84 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो ‘‘विशुद्ध रूप से अधिकांश देशों द्वारा अपनाई गई ‘चीन प्लस वन रणनीति’ के कारण है।’’ उपाध्यक्ष ने कहा कि विकास की इस प्रवृत्ति को देखते हुए और समझौते के लागू होने से एईपीसी का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया को निर्यात वर्ष 2025 तक तीन गुना बढ़ जाएगा।
वाणिज्य विभाग द्वारा मंगलवार को एईपीसी और ओखला गारमेंट टेक्सटाइल्स क्लस्टर (ओजीटीसी) के सहयोग से परिधान निर्यातकों के साथ एक पहुंच कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ओजीटीसी के अध्यक्ष पी एम एस उप्पल ने कहा कि अधिकांश बड़ी ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों की चीन में गहरी जड़ें हैं और वे भारत को केवल एक विकल्प के रूप में मानेंगी। यदि हम उन्हें आकर्षक प्रोत्साहन देते हैं और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, तभी वे भारत का रुख करेंगी।’’ सरकार ने एईपीसी को आश्वासन दिया है कि वह चुनौतियों पर गौर करेगी और सकारात्मक प्रतिक्रिया देगी।
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