संक्षिप्त अंतराल के बाद बेंजामिन नेतन्याहू के दोबारा इजराइल के प्रधानमंत्री बनने पर भारत-इजराइल रणनीतिक संबंधों को और बढ़ावा मिलनेकी संभावना है। नेतान्याहू भारत और इजराइल के बीच मजबूत संबंध के पक्षधर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी मित्र नेतन्याहू ने दक्षिणपंथी सहयोगियों के साथ संसद में आसान बहुमत हासिल करने के बादअपनी छठी सरकार बनाई। इसके साथ ही देश में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त हो गयी। लिकुद पार्टी के 73 वर्षीय नेता दूसरे इजराइली प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने जनवरी 2018 में भारत की यात्रा की।
मोदी ने भी जुलाई 2017 में इजराइल की ऐतिहासिक यात्रा की थी और वह ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे। इस दौरान दोनों नेताओं की ‘आत्मीयता’ चर्चा का विषय था। नेतन्याहू इजराइल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता हैं। मोदी ने जब इजराइल की यात्रा की तब नेतन्याहू ‘साए’ की तरह उनके साथ रहे। इस तरह का सम्मान इजराइल में आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति और पोप के लिए आरक्षित होता है। दोनों नेताओं की ओलगा बीच पर एक दूसरे के सामने नंगे पांव खड़े होने के दौरान खींची गई तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रही।
मोदी की इजराइल यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने संबंधों का विस्तार करते हुए उसे रणनीतिक साझेदारी में तब्दील किया। तब से दोनों देश अपने संबंधों को ज्ञान आधारित साझेदार पर केंद्रित कर रहे हैं जिनमें नवोन्मेष और अनुसंधान पर चर्चा और ‘मेकिंग इन इंडिया’ पहल को प्रोत्साहन शामिल है। नेतन्याहू ने मोदी सहित विश्व नेताओं के साथ करीबी का इस्तेमाल अपनी थाती के तौर पर चुनाव प्रचार के दौरान किया और प्रदर्शित किया कि उनके अलावा अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोई और इजाइल के हितों को सुरक्षित नहीं कर सकता।
उनकी लिकुद पार्टी के एक चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के साथ उनकी तस्वीर का प्रमुखता से इस्तेमाल किया गया। गौरतलब है कि नेतन्याहू का जन्म 1949 में तेल अवीव में हुआ था और वह उस समय अमेरिका चले गए जब उनके पिता प्रमुख इतिहासकार और यहूदी कार्यकर्ता बेंजियन को अकादमिक पद की पेशकश की गई। वह 18 साल की उम्र में इजराइल लौटे और पांच साल तक एलिट कमांडो यूनिट ‘सायरेट मटकल’के कैप्टन के तौर पर सेना में अपनी सेवांए दी। नेतन्याहू ने वर्ष 1968 में बेरुत हवाई अड्डे पर छापेमारी की कार्रवाई में हिस्सा लिया और वर्ष 1973 में योम किप्पुर युद्ध लड़ा।
सैन्य सेवा की अवधि पूरी करने के बाद वह दोबारा अमेरिका वापस लौटे और मैसाच्युसेट्स इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से परास्नातक किया। नेतन्याहू वर्ष 1984 में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किये गये और वर्ष 1988 में लौटने के बाद संसद के लिए निर्वाचित हुए और उप विदेश मंत्री बनाए गए। वह बाद में लिकुद पार्टी के अध्यक्ष बने और वर्ष 1996 में पहले प्रत्यक्ष निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।
India israel strategic ties expected to gain momentum after netanyahu returns to power
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero