भारत ने कहा है कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किए जाने से पहले वह तीन अरब डॉलर से अधिक लागत की प्रतिबद्धता के साथ युद्धग्रस्त देश में विकासात्मक और क्षमता निर्माण परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहा था लेकिन राजनीतिक स्थिति में बदलाव के परिणामस्वरूप विभिन्न कारणों से इसकी परियोजनाओं की गति धीमी हो गई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के दूत आर मधुसूदन ने यह बयान दिया।
वह अफगानिस्तान के लोगों के समक्ष उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों पर रूस की पहल पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एरिया फॉर्मूला बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, यह उल्लेख किया जा सकता है कि तालिबान के कब्जे से पहले, भारत अफगानिस्तान में विकास, पुनर्निर्माण और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से तीन अरब डॉलर से अधिक लागत की प्रतिबद्धता के साथ परियोजनाओं और कार्यक्रमों को क्रियान्वित कर रहा था।
मधुसूदन ने कहा, ‘‘हालांकि, राजनीतिक स्थिति में बदलाव के परिणामस्वरूप विभिन्न कारणों से हमारी परियोजनाओं की गति धीमी हो गई है। फिर भी, अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता में कोई बदलाव नहीं आया है।’’ तालिबान ने 15 अगस्त, 2021 को काबुल पर नियंत्रण कर लिया था और उसने पिछले दो दशकों में कड़ी मेहनत से हासिल किए गए कई अधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को उलट दिया है।
मधुसूदन ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और अफगानिस्तान से जुड़े मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, हाल के दिनों में, आतंकवादी हमलों में, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के उपासना स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों जैसे सार्वजनिक स्थलों को निशाना बनाया गया है। यह चिंताजनक है और भारत निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाए जाने की कड़ी निंदा करता है। रूसी संघ के राजनयिक परिसर पर हुआ हमला अत्यधिक निंदनीय है।”
भारत ने कहा कि यह मानना महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर कुछ चिंताएं बनी हुई हैं। इसने कहा कि अफगानिस्तान में नयी दिल्ली की मुख्य प्राथमिकताओं में अफगान लोगों के लिए तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करना, वास्तविक समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटना तथा महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण करना शामिल है।
मधुसूदन ने उल्लेख किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक दृष्टिकोण को सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में व्यक्त किया गया है, जिसे अगस्त 2021 में परिषद की भारत की अध्यक्षता के तहत अपनाया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग आतंकवादियों- विशेष रूप से सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित किए गए लोगों और लश्कर ए तैयबा तथा जैश ए मोहम्मद जैसे अन्य संबंधित संगठनों के आश्रय, प्रशिक्षण और वित्तपोषण के लिए नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “आतंकवाद के मुद्दे से मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा भी जुड़ा है। हमने हाल में अपने बंदरगाहों पर और अपने समुद्र क्षेत्र में मादक पदार्थों की बड़ी खेप जब्त की है। इन तस्करी नेटवर्क को बाधित और नष्ट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। मधुसूदन ने कहा कि राजनीतिक मोर्चे पर भारत अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार का आह्वान करता है जिसमें अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो।
अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर भारत की ओर से गहरी चिंता व्यक्त करते हुए मधुसूदन ने कहा कि अफगान लोगों की मानवीय जरूरतों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई तत्काल अपील के जवाब में, भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता की कई खेप भेजी हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने में भारत का प्रत्यक्ष हित है तथा अफगानिस्तान के निकटवर्ती पड़ोसी एवं दीर्घकालिक साझेदार के रूप में अफगान लोगों के साथ भारत के मजबूत ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध रहे हैं। मधुसूदन ने कहा, अफगानिस्तान के लिए हमारा दृष्टिकोण, हमेशा की तरह, हमारी ऐतिहासिक मित्रता और अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे विशेष संबंधों द्वारा निर्देशित होगा।
India said change in political situation in afghanistan has slowed down our projects
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