भारतीय स्मारक, जिन्हे देखकर रह जायेंगे दंग, ख़ूबसूरती है बेमिसाल
प्राचीन समय से ही भारत को इसकी सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक सम्पन्नता के लिए जाना जाता है। भारत में मुग़ल काल से लेकर प्राचीन काल के साक्ष्य मौजूद है जिसमे रामायण काल और महाभारत काल के साक्ष्य भी शामिल है जो इसकी ऐतिहासिक धरोहर है। मुग़ल काल में निर्मित ऐतिहासिक धरोहरों को हम कैसे भूल सकते है। आइये आपको ले चलते है कुछ ऐसी ही भारतीय धरोहरों की सैर पर जिन्हे देख कर देश विदेश से आये पर्यटक दंग रह जाते है और उनको भारत के गौरवपूर्ण इतिहास का पता चलता है।
हवा महल
राजस्थान का नाम सुनते ही लोगो के मन में हवा महल की तस्वीर बन जाती है। हवा महल राजस्थान की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गुलाबी शहर का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल है इसका अर्थ है 'हवाओं का महल'। इसका निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। इसमें 950 से भी ज्यादा खिड़कियां है। यह महल लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बना हुआ है और यह महल मधुमखियों के छत्ते की तरह से बनाया गया है।
मैसूर महल
इस महल में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है। शाम के समय इस महल में लाइट जलाई जाती है जिससे इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। इस महल को अंबा पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांचमंज़िल का टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है। इसका निर्माण 14वीं सदी में वाडियार राजाओं ने करवाया था। यह वाडियार महाराजाओं का निवास स्थान हुआ करता था। मैसूर पैलेस दविड़, पूर्वी और रोमन कला का अद्भुत संगम है।
ताज महल
ताज महल की गिनती विश्व के सात अजूबो में की जाती है। शायद ही कोई ऐसा विदेशी पर्यटक होगा जो इंडिया आये और ताज महल के दीदार करने ना पहुचें। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। इसका निर्माण कार्य 1632 में शुरु हुआ और 1653 में ताजमहल बनकर तैयार हुआ। सफेद संगमरमर से बना यह मकबरा बहुत ही खूबसूरत है। ताजमहल भारतीय, पर्सियन और इस्लामिक वास्तुशिल्पीय शैली के मिश्रण का एक खूबसूरत नमूना है।
लाल किला
इस किले को 'लाल किला' इसकी दीवारों के लाल रंग के कारण कहा जाता है। यह किला बलुआ पत्थर से निर्मित है। विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ किले के निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा 1638 ईसवी में कराया गया इसका असली नाम किला-ए-मुबारक है। मुगल शासन में शाही परिवार के लोग इसे मुबारक किला भी कहते थे। आज़ादी के बाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को यही पर तिरंगा फहराया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है और हर स्वतंत्रता दिवस पर यहां लाल क़िले की प्राचीर पर झंडा फहराया जाता है। यहीं से देश के प्रधानमंत्री देश के लोगों को संबोधित करते है। लाल किला आप मंगलवार से रविवार तक सुबह 7 बजे से शाम 5:30 बजे के बीच कभी भी घूम सकते है। सोमवार को किला बंद रहता है।
साँची स्तूप
साँची का स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में साँची नगर के पास एक पहाड़ी पर स्थित एक छोटा सा गांव है। यहां भगवान् बुद्ध की पूजा की जाती है। सांची में सम्राट अशोक के बनवाये हुए स्तूप है जो बौद्ध धर्म के इतिहास को समेटे हुए हैं। इन स्तूपों में महात्मा बुद्ध के अवशेष रखे गए थे। सांची के स्तूप शांति, पवित्रता, धर्म और साहस का प्रतीक माने जाते हैं। साँची का पुराना नाम कंकेनवा,ककान्या आदि जाना जाता है।
एलोरा की गुफाएं
इन गुफाओं का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के समय के दौरान हुआ था। जिन्होंने हिंदू और बौद्ध धर्म से सम्बंधित गुफाओं को बनाया था। यहां 17 हिंदू गुफाएं, 12 बौद्ध और पांच जैन गुफाएं हैं जिनमें देवताओं से संबंधित नक्काशी की गयी है और मठ भी हैं जो प्रत्येक धर्म की पौराणिक कथाओं को दर्शाते हैं। इसमें स्थित मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम ने कराया था। एलोरा गुफाएं व्यापार मार्ग होने के अलावा यात्रा करने वाले बौद्ध और जैन भिक्षुओं के आवास के भी रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
स्वर्ण मंदिर
स्वर्ण मंदिर सिखों का एक केंद्रीय धार्मिक स्थान है। स्वर्ण मंदिर सभी धर्मों की समानता का प्रतीक भी है। हर कोई, चाहे वह किसी भी जाति, पंथ या नस्ल का क्यों न हो, बिना किसी रोक टोक के आ सकता है। यह अमृतसर में स्थित है। यह मंदिर लगभग 500 किलो सोने से सजा हुआ है। इस मंदिर में लगभग रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। अफगान हमलावरों ने इस मंदिर को 19 शताब्दी में पूरी तरह नष्ट कर दिया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया और सोने की परत से सजाया था। इसी वजह से इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाता है।
Indian monuments the beauty is unmatched