सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने शनिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में लागत से कम दाम पर पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की बिक्री करने से उसे 272.35 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है। यह लगातार दूसरी तिमाही है जिसमें उसे घाटा हुआ है। आईओसी ने शेयर बाजारों को दी गई जानकारी में कहा कि एक साल पहले की समान तिमाही में उसने 6,360.05 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था।
कंपनी को दूसरी तिमाही में घाटा सरकार की तरफ से 10,801 करोड़ रुपये का सब्सिडी अनुदान देने की घोषणा के बावजूद हुआ है। सरकार ने घरेलू रसोई गैस को लागत से कम दाम पर बेचने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए गत 12 अक्टूबर को 22,000 करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान तीनों सार्वजनिक पेट्रोलियम कंपनियों को देने की घोषणा की थी। एक अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि सरकार ने तिमाही खत्म होने के बाद इस सब्सिडी अनुदान की घोषणा की थी लेकिन यह राशि जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए ही आवंटित की गई है। ऐसी स्थिति में इस राशि को वित्तीय आंकड़ों का ही हिस्सा माना जाएगा।
आईओसी ने भी अपने बयान में कहा कि इस राशि को परिचालन से प्राप्त राजस्व में शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि आईओसी को लगातार दो तिमाहियों में घाटा उठाना पड़ा है। इसके पहले अप्रैल-जून की तिमाही में भी आईओसी को 1,992.53 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। यह पहला मौका है जब कंपनी को लगातार दो तिमाहियों में घाटा हुआ है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में आईओसी का कुल घाटा बढ़कर 2,264.88 करोड़ रुपये हो चुका है।
एक साल पहले की समान अवधि में आईओसी ने 12,301.42 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था। आईओसी के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य पेट्रोलियम कंपनियों को भी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारी घाटा उठाना पड़ा था। इसकी वजह लागत के अनुरूप पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करना रही। दरअसल बढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू पाने में सरकार की मदद के लिए पेट्रोलियम कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की है। हालांकि जुलाई-सितंबर 2022 की तिमाही में आईओसी की परिचालन आय बढ़कर 2.28 लाख करोड़ रुपये हो गई जो एक साल पहले की समान तिमाही में 1.69 लाख करोड़ रुपये रही थी।
आईओसी के राजस्व में गिरावट पहली छमाही में रिफाइनिंग मार्जिन के 25.49 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद हुई है। एक साल पहले की समान अवधि में इसका रिफाइनिंग मार्जिन 6.57 डॉलर प्रति बैरल रहा था। कंपनी का बीती तिमाही में निर्यात घटकर 8.6 लाख टन रह गया जो एक साल पहले 12.4 लाख टन था। एक जुलाई से पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन के निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाने से संभवतः उसके निर्यात में गिरावट आई है।
Indian oil reported a net loss of rs 272 crore in the second quarter
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