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घरेलू टूर्नामेंट में मौजूदगी दर्ज कराने के लिये मशक्कत करनी होगी भारतीय टेनिस खिलाड़ियों को

घरेलू टूर्नामेंट में मौजूदगी दर्ज कराने के लिये मशक्कत करनी होगी भारतीय टेनिस खिलाड़ियों को

घरेलू टूर्नामेंट में मौजूदगी दर्ज कराने के लिये मशक्कत करनी होगी भारतीय टेनिस खिलाड़ियों को

भारतीय एकल खिलाड़ियों को सोमवार से यहां शुरू हो रहे घरेलू एटीपी टूर्नामेंट टाटा ओपन महाराष्ट्र में आगे तक पहुंचने के लिये भरसक प्रयत्न करने होंगे जो या तो वाइल्ड कार्ड से या फिर क्वालीफायर के जरिये मुख्य ड्रा तक पहुंचे हैं। भारतीय खिलाड़ियों ने युगल में अच्छा प्रदर्शन किया है और वे पिछले चरण में काफी दूर तक पहुंचे थे लेकिन जब से टूर्नामेंट चेन्नई से पुणे में कराया जाने लगा है तब से कोई भी एकल खिलाड़ी दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ पाया है। देश में इस टूर्नामेंट को लाने का मकसद घरेलू खिलाड़ियों को खेल के शीर्ष खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मुहैया कराना था।

लेकिन घरेलू खिलाड़ियों के नतीजों को देखते हुए कभी कभार यह बहस भी छिड़ जाती है कि इतने बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी की वास्तव में जरूरत है जिसके लिये कम से कम 15 करोड़ रूपये खर्च होते हैं। लेकिन एक टूर्नामेंट को महज इसलिये बंद करना काफी मुश्किल है। हालांकि टूर्नामेंट का स्तर सर्वश्रेष्ठ रहा है। हालांकि अनुभवी रोहन बोपन्ना ने घरेलू सरजमीं पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। वह अपने खेल के स्तर की वजह से विदेशों में भी दावेदार बने रहते हैं। वहीं रामकुमार रामनाथन और सुमित नागल अगर अच्छी फॉर्म में हों तो वे शीर्ष खिलाड़ियों को चुनौती दे सकते हैं लेकिन इस स्तर के टूर्नामेंट में इसी प्रदर्शन को दोहराने की जरूरत होती है।

एकल रैंकिंग सीधे प्रवेश के लिये काफी नहीं होती इसलिये आयोजकों ने देश के सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग के खिलाड़ी शशिकुमार मुकुंद, नागल और प्रतिभाशाली स्थानीय खिलाड़ी मानस धामने (15 वर्ष) को वाइल्डकार्ड दिये। दुर्भाग्य से युकी भांबरी क्वालीफायर के दूसरे दौर में हार गये और मुख्य ड्रा के लिये क्वालीफाई नहीं कर सके। भांबरी, रामकुमार और प्रजनेश गुणेश्वरन ने इस टूर्नामेंट में भारतीय तिरंगा ऊंचा रखा है लेकिन धीरे धीरे इनका प्रदर्शन फीका हो रहा है। प्रजनेश 33 वर्ष के हो चुके हैं और युकी 30 की उम्र को छू चुके हैं और रामकुमार भी 20 दशक के अंतिम पड़ाव में हैं।

नागल (25 साल) चोटों से जूझते रहे हैं। नागल को अगर कुछ विशेष करना है तो उन्हें पहले दौर से आगे तक पहुंचना होगा। वह पहले दौर में सर्बिया के फिलिप क्राजिनोविच (54वीं रैंकिंग) के सामने होंगे। शशिमुकुंद का सामना फ्लावियो कोबोली से होगा और अगर वह पहले दौर की बाधा पार कर लेते हैं तो वह दूसरे वरीय और दुनिया के 17वें नंबर के ख्लाड़ी बोटिक वान डि जांड्सशुल्प के सामने होंगे। रामकुमार का सामना स्पेन के पेड्रो मार्टिनेज से होगा जबकि धामने की भिड़त अमेरिका के माइकल ममोह से होगी।

एकल में भारतीयों के लिये अगले दौर में पहुंचना काफी मुश्किल होगा और अगर वे क्वार्टरफाइनल तक भी पहुंच जायें तो यह उनके लये अच्छा प्रदर्शन होगा। युगल में हालांकि भारतीय दिलचस्पी अधिक होती है क्योंकि इसमें काफी खिलाड़ी खेलते हैं। गत चैम्पियन बोपन्ना और रामकुमार अलग जोड़ीदारों के साथ खेल रहे हैं और अगर वे पहले दौर की बांधायें पार कर लेते हैं तो दूसरे दौर में आमने सामने हो सकते हैं। युकी और साकेत मायनेनी ने जोड़ी बनायी है और दिविज शरण और पूरव राज की जोड़ी ने वाइल्ड कार्ड से जगह बनायी है। अर्जुन कांधे ने ब्राजील के फर्नांडो राम्बोली से जोड़ी बनायी है।

Indian tennis players will have to struggle to register their presence in domestic tournaments

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