नेपाल के बिजली क्षेत्र को आशंका है कि जलविद्युत परियोजनाओं के लिए भारत की नई नीति से वह प्रतिस्पर्धी बढ़त गंवा सकता है। उसका कहना है कि अंतर-राज्य पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क माफ करने के भारत के हालिया फैसले के बाद भारत को उसके बिजली निर्यात पर गहरा असर पड़ेगा। भारत के ऊर्जा मंत्रालय ने दो दिसंबर को नई जलविद्युत परियोजनाओं के लिए 18 वर्षों तक आईएसटीएस शुल्क माफ करने की घोषणा की थी। छूट सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पहले से ही लागू है।
छूट विशेष रूप से घरेलू भारतीय बिजली उत्पादकों के लिए लागू है और नेपाल से निर्यात की जाने वाली बिजली इस रियायत की हकदार नहीं है। सरकार ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा आधारित स्रोतों से 500 गीगावॉट उत्पादन क्षमता हासिल करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले से भारतीय कंपनियों द्वारा उत्पादित पनबिजली नेपाल द्वारा उत्पादित पनबिजली से सस्ती हो जाएगी। नेपाल विद्युत प्राधिकरण के उप प्रबंध निदेशक प्रदी थिके ने कहा, ‘‘घरेलू बिजली परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना भारत का आंतरिक मामला है। हमारे लिए अच्छा होगा अगर यही सुविधाएं नेपाली बिजली उत्पादकों को भी मिलें।’’ नेपाल के स्वतंत्र बिजली उत्पादक संघ के उपाध्यक्ष आशीष गर्ग ने कहा कि अगर भारत ऐसी ही छूट नेपाल के बिजली उत्पादकों को भी देता है तो यह उनके लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि वे भारत को अधिक जल-विद्युत का निर्यात कर सकते हैं।
Indias new hydropower policy fears nepal losing competitive edge in power sector
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