Politics

मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जो पहल की है वही असल में ‘भारत जोड़ो’ है

मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जो पहल की है वही असल में ‘भारत जोड़ो’ है

मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जो पहल की है वही असल में ‘भारत जोड़ो’ है

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और अखिल भारतीय इमाम संघ के प्रमुख इमाम उमर इलियासी दोनों ही हार्दिक बधाई के पात्र हैं। इन दोनों सज्जनों ने जो पहल की है, वह ऐतिहासिक है। इलियासी ने दावत दी और भागवत ने उसे स्वीकार किया। मोहन भागवत मस्जिद में गए और मदरसे में भी गए। मोहनजी ने मदरसे के बच्चों से खुलकर बात की।

इसके एक दिन पहले मोहन भागवत ने पांच नामी-गिरामी मुस्लिम बुद्धिजीवियों से भी संवाद किया। मोहनजी ने राष्ट्रीय एकात्म पैदा करने की यह जो पहल की है, इसकी शुरुआत पूर्व संघ-प्रमुख कुप्प सी सुदर्शन ने की थी। सुदर्शनजी कन्नड़भाषी थे। उनका लालन-पालन और शिक्षण मध्य प्रदेश में हुआ था। वे इंदौर में संघ की शाखा चलाया करते थे। वे मेरे अभिन्न मित्र थे। वे लगभग 60-65 साल पहले इंदौर में मेरे घर पर आने वाले मेरे मुसलमान और ईसाई मित्रों से खुलकर बहस किया करते थे।

इसे भी पढ़ें: मोहन भागवत के मस्जिद दौरे के बाद आई चीफ इमाम की प्रतिक्रिया, कहा- वह 'राष्ट्र-पिता' और 'राष्ट्र-ऋषि' हैं

मेरे पिताजी के पुस्तकालय में इस्लाम पर जितने भी ग्रंथ थे, वे सब उन्होंने पढ़ रखे थे। उनकी यह पक्की धारणा थी कि भारत के हिंदू और मुसलमान सभी भारतमाता की संतान हैं। यह जरूरी है कि वे मिलकर रहें और उनके बीच सतत संवाद और संपर्क बना रहना चाहिए। जब सुदर्शनजी सर संघचालक बने तो उन्होंने 2002 में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बनवाया, जिसका सफल संचालन इंद्रेश कुमार कर रहे हैं। सुदर्शनजी ने मेरे अनुरोध पर स्वयं लखनऊ जाकर कई मौलानाओं और समाजवादी नेताओं से सस्नेह संवाद कायम किया।

उसी धारा को अब मोहन भागवत ने काफी आगे बढ़ा दिया है। मोहनजी ने अपने संवाद में साफ-साफ कहा कि जिहाद के नाम पर हिंसा और बैर-भाव फैलाना तथा हिंदुओं को काफिर कहना कहाँ तक ठीक है? इसी प्रकार उन्होंने अपने कथन को दोहराया कि हिंदू और मुसलमानों का डीएनए तो एक ही है। वे सब भारतमाता की संतान हैं। मोहनजी ने मदरसे के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उनकी शिक्षा में आधुनिक विषय पढ़ाने के सुझाव भी दिए।

मोहन भागवत के आगमन और संवाद से सम्मोहित हुए इमाम इलियासी ने उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ तक कह दिया। फूलकर कुप्पा होने की बजाय विनम्रता के धनी मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रपिता तो एक ही हैं। हम सब राष्ट्र की संतान हैं। इलियासी अक्सर मुझसे कहा करते हैं कि मुसलमान तो मैं पक्का हूँ लेकिन मैं राजपूत भी हूँ, यह मत भूलिए। हिंदुओं और मुसलमानों में जो लोग कट्टरपंथी हैं, उन्हें भागवत और इलियासी, दोनों से काफी नाराजी हो रही होगी लेकिन वे जरा सोचें कि नरेंद्र मोदी राज में कट्टरवादियों ने कटुता और संकीर्णता का जैसा माहौल बना रखा है, उसमें क्या यह भेंट आशा की किरण की तरह नहीं चमक रही है?

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में उनके नेताओं से जब भी मेरी बात होती है, वे संघ पर प्रहार करने से कभी नहीं चूकते लेकिन क्या अब वे यह महसूस नहीं करेंगे कि यह जो नई विचारधारा भारत में चल पड़ी है, यह भारत के हिंदुओं और मुसलमानों को ही एक-मेक नहीं कर देगी बल्कि यह प्राचीन भारत याने आर्यावर्त्त याने दक्षिण एशिया के पड़ौसी देशों को भी एक सूत्र में बांधने का काम करेगी। यही असली ‘भारत जोड़ो’ है।

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक

Initiative taken by mohan bhagwat for hindu muslim unity is actually bharat jodo

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero