नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा में सक्रिय रियल एस्टेट कंपनियों को उच्चतम न्यायालय के सोमवार को आए फैसले से तगड़ा झटका लगा जिसमें बिल्डरों को पट्टे पर दी गई जमीन की बकाया राशि पर वसूले जाने वाले ब्याज दर सीमा हटा दी गई। मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की तरफ से दायर उस अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसमें उच्चतम न्यायालय के 10 जून, 2020 के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी।
इस आदेश में बिल्डरों पर बकाया राशि के लिए अधिकतम आठ प्रतिशत की ब्याज दर तय की गई थी। इस मामले में प्राधिकरणों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने पीटीआई-से कहा कि इस आदेश को वापस लेने की मांग उच्चतम न्यायालय ने मान ली है। हालांकि अभी तक इस आदेश की जानकारी उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई है। कुमार ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि अधिकतम ब्याज दर की सीमा तय करने का आदेश वापस नहीं लिए जाने पर दोनों विकास प्राधिकरणों को 7,500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो सकता है।
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