Currentaffairs

अपनी बेटियों को लव जिहाद के खतरे से आगाह करना हर माँ-बाप का कर्तव्य है

अपनी बेटियों को लव जिहाद के खतरे से आगाह करना हर माँ-बाप का कर्तव्य है

अपनी बेटियों को लव जिहाद के खतरे से आगाह करना हर माँ-बाप का कर्तव्य है

यह बेहद दुख की बात है कि देश में लव जिहाद की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। लव जिहाद में फंस कर कई लड़कियां अपनी जान गंवा चुकी हैं तो अनेक युवतियां नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। यह सब तब हो रहा है जबकि लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाए जा चुके हैं। कड़ी सजा का प्रावधान है। लव जिहाद की घटनाएं काफी हद तक धर्म और धर्मांतरण से भी जुड़ी है। लव जिहाद का एंगिल सीधे तौर पर हिन्दू युवतियों और मुस्लिम युवाओं से जुड़ा मसला बनता जा रहा है। जहां मुस्लिम युवक अपना धर्म और नाम छिपाकर हिन्दू युवतियों को अपने प्रेम जाल में फंसाकर धर्मांतरण को बढ़ावा देने का कृत्य करते हैं। प्यार ऐसा ‘रोग’ होता है जिसे युवक-युवतियां जमाने से छिपाकर करती हैं। बस इसी बात का फायदा लव जिहादी उठाते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि लव जिहाद के खिलाफ कानून तो अपना काम करे ही, हम सबको भी अपनी किशोर उम्र की बेटियों को समय-समय पर लव जिहादियों के मंसूबों और लव जिहादी इस कृत्य को कैसे अंजाम देते हैं, इसके प्रति जागरूक करते रहता चाहिए। बेटियों से खुलकर बात करनी चाहिए। वह लव जिहादियों के द्वारा नहीं छली जाएं इसके लिए माँ-बाप को उनके दोस्त बनकर रहना चाहिए जिससे वह कोई बात माँ-बाप या घर वालों से कोई बात नहीं छिपाएं। लव जिहाद की गंभीरता का अंदाजा सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी से लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण को ‘बहुत गंभीर’ मुद्दा करार देते हुए 14 नवंबर 2022 को केंद्र से कहा कि वह इसे रोकने के लिए कदम उठाए और इस दिशा में गंभीर प्रयास करे।

सुप्रीम अदालत ने चेताया कि यदि जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो ‘बहुत मुश्किल स्थिति’ पैदा होगी, क्योंकि वे राष्ट्र की सुरक्षा के साथ-साथ नागरिकों के धर्म और विवेक की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कथित धर्मांतरण का यह मुद्दा, अगर सही और सत्य पाया जाता है तो यह एक बहुत ही गंभीर है, जो अंततः राष्ट्र की सुरक्षा के साथ-साथ नागरिकों के धर्म और विवेक की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए बेहतर है कि केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट करे और बल, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से इस तरह के जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर वह/अन्य (राज्य सरकारें) हलफनामा दायर करें।
   
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार प्रलोभन के जरिये धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताए। पीठ ने कहा, ‘यह एक बहुत ही गंभीर मामला है। केंद्र द्वारा जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। अन्यथा बहुत मुश्किल स्थिति सामने आएगी। हमें बताएं कि आप क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखते हैं। आपको हस्तक्षेप करना होगा।’ पीठ ने कहा कि धर्म की स्वतंत्रता हो सकती है, लेकिन जबरन धर्मांतरण द्वारा धर्म की स्वतंत्रता नहीं हो सकती। पीठ ने केंद्र को इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए 22 नवंबर, 2022 तक का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को तय की है। सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें ‘डरा-धमका कर, प्रलोभन देकर और पैसे का लालच देकर’ होने वाले धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया। याचिकाकर्ता ने कहा जबरन धर्मांतरण के अधिकांश पीड़ित सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिये के समुदायों से आते हैं और इस तरह यह प्रथा न केवल संविधान में निहित मौलिक अधिकारों, बल्कि धर्मनिरपेक्षता जैसे अन्य संवैधानिक सिद्धांतों का भी अपमान करती है।

इसे भी पढ़ें: श्रद्धा मर्डर मामले पर हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने दी पढ़ी-लिखी लड़कियों को सलाह तो हो गया विवाद

बहरहाल, दिल्ली में लव जिहाद की शिकार हुई श्रद्धा का मालमा ठंडा भी नहीं पड़ा था और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दुबग्गा क्षेत्र में भी एक 19 वर्षीय युवती निधि गुप्ता की मौत के पीछे धर्मांतरण का दबाव बनाने का मामला सामने आया है। दुबग्गा पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है। खैर, भोली-भाली लड़कियों को बरगलाकर या दबाव बनाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाने का यह मामला नया नहीं है। पिछले 21 माह में जोन व कमिश्नरेट में धर्म परिवर्तन करवाने के 268 मामले सामने आ चुके हैं। धर्म परिवर्तन को लेकर बरेली में सबसे अधिक 57 मामले दर्ज किए गये हैं। वहीं लखनऊ में सिर्फ 24 केस दर्ज करवाए गये हैं। प्रदेश के आठ जोन और चार पुलिस कमिश्नरेट में एक जनवरी 2021 से लेकर इस वर्ष सितंबर तक धर्म परिवर्तन करवाने के 268 मामले दर्ज करवाए जा चुके हैं। पुलिस इनमें से 27 मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगा चुकी है। वहीं 176 केस ऐसे हैं, जिसमें पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक धर्म परिवर्तन के सबसे अधिक 57 मामले बरेली में दर्ज किए गए हैं। वहीं, 49 मामलों के साथ मेरठ धर्म परिवर्तन के मुकदमे दर्ज करने को लेकर दूसरे स्थान पर है। लखनऊ में भी पुलिस बीते दिनों 24 केस दर्ज कर चुकी है, जिनमें से 13 मामलों में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और तीन मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है।
     
उत्तर प्रदेश में दर्ज धर्म परिवर्तन के 268 मामलों में 709 लोगों को नामजद करवाया गया है। इसके साथ ही पुलिस की विवेचना में 131 आरोपित और सामने आए हैं, लेकिन पुलिस की जांच में 153 लोगों के ऐसे नाम भी सामने आए, जिनका आरोप साबित नहीं हुआ है। लिहाजा उनकी नामजदगी गलत पाई गई। पुलिस ने इन लोगों को क्लीन चिट भी दी है। धर्मांतरण की मामलों में 57 नाबालिग भी चपेट में आए हैं। इनमें मेरठ में सबसे अधिक 15 और गोरखपुर में 10 नाबालिगों का मामला सामने आया है। वहीं दर्ज करवाए गए मुकदमों में 137 पीड़िताओं ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे और अपना बयान दर्ज करवाकर आरोपों की पुष्टि भी की है।

दरअसल, लव जिहाद की जड़ें काफी गहरी हैं। यह एक इस्लामोफोबिका षड्यन्त्र का सिद्धान्त है, जोकि भारत अथवा गैर मुस्लिम देशों में काफी प्रचलित है है। इस षड्यन्त्र सिद्धान्त के तहत मुस्लिम पुरुष-युवा गैर-मुस्लिम समुदायों से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए अपने प्रेम जाल में फंसाते हैं। वहीं कई बार गरीबों की मदद की आड़ में भी यह जिहाद चलाया जाता है। 2009 में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार केरल और उसके बाद कर्नाटक में घटनाएं राष्ट्रीय ध्यानाकर्षण की ओर बढ़ीं। नवंबर 2009 में पुलिस महानिदेशक जैकब पुन्नोज ने कहा कि कोई ऐसा संगठन है जिसके सदस्य केरल में लड़कियों को मुस्लिम बनाने के इरादे से प्यार करते थे। दिसंबर 2009 में न्यायमूर्ति के.टी. शंकरन ने पुन्नोज की रिपोर्ट को स्वीकार कर दिया और निष्कर्ष निकाला कि जबरदस्ती धर्मांतरण के संकेत हैं। अदालत ने ‘लव जिहाद‘ मामलों में दो अभियुक्तों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में इस तरह के 3,000-4,000 सामने आये थे।

लव-जिहाद का मुद्दा भी सबसे पहले दिग्गज वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंदन ने 2010 में उठाया था। फिर केरल के ही कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने 25 जून, 2012 को विधानसभा में बताया कि गत छह वर्षों में वहां 2,667 लड़कियों को इस्लाम में धर्मांतरित कराया गया। आज तक पांच राज्य लव जिहाद के खिलाफ कानून बना चुके हैं। गत दिवस ही उत्तराखंड सरकार ने लव जिहाद और धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाकर आरोपियों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान किया है। इससे पूर्व भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक, विवाह के माध्यम से ‘जबरन धर्मांतरण’ को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों को आमतौर पर ‘लव जिहाद’ कानूनों के रूप में संदर्भित कर चुके हैं।

- अजय कुमार

It is the duty of every parent to warn their daughters about the dangers of love jihad

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero