विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को साइप्रस में निवेशकों से कहा कि भारत वैश्विक समुदाय के लिए एक विनिर्माण केंद्र बनने की राह पर है और वर्ष 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का भी लक्ष्य रखा गया है। साइप्रस के दौरे पर पहुंचे जयशंकर ने यहां भारतीय उच्चायोग की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हुई प्रौद्योगिकी एवं ढांचागत प्रगति ने दुनिया का ध्यान भारत में निवेश की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच पिछले साल करीब 21.4 करोड़ डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। उन्होंने कहा कि साइप्रस पिछले 20 वर्षों में 12 अरब डॉलर के कुल निवेश के साथ भारत में 10वां सबसे बड़ा निवेशक है। भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान साइप्रस को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और पेरासिटामोल जैसी जरूरी दवाओं के साथ लोहा, इस्पात, सिरेमिक उत्पाद और बिजली मशीनरी उत्पादों का निर्यात किया।
भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय संबंधों के 60 साल पूरे होने के मौके पर यहां आए मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हुई प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे की प्रगति के चलते भारत दुनिया में निवेश का प्रमुख गंतव्य बन गया है। इसके साथ ही विदेश मंत्री ने यूरोपीय संघ के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर फिर से बातचीत शुरू करने में साइप्रस की भूमिका की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि भारत-यूरोपीय संघ एफटीए पर बातचीत वर्ष 2013 से ही स्थगित चल रही थी लेकिन साइप्रस की सरकार ने इसे बहाल करने में मददगार भूमिका निभाई। जयशंकर ने इस बात पर बल दिया कि जी-20 समूह का अध्यक्ष रहते हुए भारत ऊर्जा, खाद्यान्न एवं उर्वरकों को किफायती बनाने एवं पहुंच आसान बनाने के मुद्दे पर काम करने का इरादा रखता है। भारत ने एक दिसंबर को ही इस समूह का नेतृत्व संभाला है।
Jaishankar said india on track to become a global manufacturing hub
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