विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन की सरकार प्रमुखों की परिषद की ऑनलाइन बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने एक बार फिर चीन को सीधा संदेश दिया। चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने बैठक की मेजबानी की क्योंकि सरकार के प्रमुखों की परिषद की अध्यक्षता चीन द्वारा की जाती है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन के देशों में बेहतर कनेक्टिविटी पर जोर दिया। संगठन की बैठक में जयशंकर ने यह भी कहा कि कनेक्टिविटी की इन परियोजनाओं में सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का भी सम्मान किया जाना चाहिए। विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट के संदर्भ में देखा गया।
संगठन से जुड़े शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक में विडियो कॉन्फ्रेंस से शामिल हुए जयशंकर ने कहा कि (ईरान में) चाबहार बंदरगाह और 'इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर' क्षेत्र में आर्थिक क्षमता की संभावनाएं के नए रास्ते खोलेगा। ये प्रोजेक्ट मध्य एशियाई देशों में सुगम संपर्क का जरिया बन सकते हैं। बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि हमें मध्य एशियाई देशों के हितों का ध्यान रखते हुए एससीओ क्षेत्र में बेहतर संपर्क स्थापित करने की जरूरत है। एससीओ सदस्य देशों के साथ हमारा कुल व्यापार 141 अरब डॉलर का है। इसमें कई गुना वृद्धि की संभावना है। एससीओ में रूस, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं। भारत और असर पह पाकिस्तान 2017 में सदस्य बने।
जयशंकर ने कहा कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं को सदस्य राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानून का आदर करना चाहिए। उनकी इस टिप्पणी को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के संदर्भ में देखा जा रहा है।
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