जापान ने एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति अपनाते हुए पड़ोसी देशों चीन और उत्तर कोरिया के खतरों के खिलाफ खुद को और अधिक समक्ष बनाने के वास्ते आगामी वर्षों में क्रूज मिसाइल के जरिये अपनी क्षमता बढ़ाने संबंधी योजना की शुक्रवार को घोषणा की। द्वितीय विश्व युद्ध का जिक्र करते हुए जापान के रणनीति संबंधी दस्तावेज में कहा गया है कि चीन, उत्तर कोरिया और रूस सीधे इसके पश्चिम और उत्तर में हैं और जापान ‘‘युद्ध की समाप्ति के बाद से सबसे कठिन और जटिल राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल का सामना कर रहा है।’’
इसमें चीन को उत्तर कोरिया और रूस से पहले ‘‘सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती’’ के रूप में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि जापान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सुरक्षा, शांति और स्थिरता के लिए जापान लगातार प्रयास कर रहा है। जापान के रक्षा निर्माण को लंबे समय से देश और क्षेत्र में एक संवेदनशील मुद्दा माना जाता रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के बढ़ते प्रभाव, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और ताइवान के डर से जापान को अपनी क्षमता बढ़ाये जाने की जरूरत महसूस हुई। केयो विश्वविद्यालय के एक रक्षा विशेषज्ञ केन जिंबो ने कहा, ‘‘ताइवान आपातकाल और जापान आपातकाल अभिन्न हैं।’’
रणनीतिक दस्तावेज में कहा गया है कि मिसाइलों का तेजी से विकास इस क्षेत्र में ‘‘वास्तविक खतरा’’ बन गया है। उत्तर कोरिया ने इस साल 30 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें एक मिसाइल जापानी क्षेत्र के ऊपर से गुजरी थी। चीन ने ओकिनावा सहित जापानी दक्षिणी द्वीपों के निकट पांच बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। रणनीति से जुड़े नये दस्तावेज में कहा गया है कि जापान को जवाबी हमला करने और भविष्य में होने वाले हमलों को रोकने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों की आवश्यकता है। जापानी रक्षा अधिकारियों ने कहा कि वे अभी भी टॉमहॉक मिसाइल खरीद को लेकर बातचीत कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले महीने जापान और अमेरिका ने सहयोगियों की तैयारियों को बढ़ाने के लिए दक्षिणी जापान में एक संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था।
Japan adopts national security strategy in view of growing regional threats
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