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Jayeshbhai Jordaar Review | जयेशभाई जोरदार निकले फुस, नहीं आयी हंसी न मिली कोई सामाजिक सीख

Jayeshbhai Jordaar Review | जयेशभाई जोरदार निकले फुस, नहीं आयी हंसी न मिली कोई सामाजिक सीख

Jayeshbhai Jordaar Review | जयेशभाई जोरदार निकले फुस, नहीं आयी हंसी न मिली कोई सामाजिक सीख

बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह ने पिछले 5 सालों में जो फिल्म दी है वो सभी ब्लॉकबस्टर साबित हुई हैं। फिल्म राम लीला से संजय लीला भंसाली के साथ शुरू रणवीर सिंह का यह सफर पद्मावत की सफलता पर आकर खत्म हुआ। फिल्म पद्मावत में उन्होंने खिलजी का किरदार निभाया था और अपनी अलग स्तर की एक्टिंग का लोहा मनवाया था। इसके बाद उन्होंने गलीबॉय जैसी फिल्म से भी अपनी इमेज को बदला और दिखाया की वह हर तरह की एक्टिंग करने की काबिलियत रखते हैं। गलीबॉय ने भी खूब अवॉर्ड जीते थे। अब रणवीर सिंह कॉमेडी की दुनिया में अपने पैर पसारने के लिए तैयार है। हमेशा हंसमुख दिखने वाले रणवीर सिंह की फिल्म जयेशभाई जोरदार सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है। फिल्म के रिव्यू की बात की जाए तो फिल्म का ट्रेलर जितना जानदार था फिल्म उतनी ही फुस निकली है। ट्रेलर में हमने काफी शानदार सीन देखें थे जो आपको हंसने के लिए मजबूर कर सकते हैं साथ में फिल्म एक सामाजिक संदेश भी दे रही थी, इसके अलावा एक दर्शक को क्या चाहिए, एक दर्शक बस यही चाहता है कि सिनेमाघर में जाकर खुल के हंसा जाए और कुछ सीख भी मिल जाए लेकिन फिल्म दर्शकों की ये ख्वाहिश पूरी करने में कामयाब नहीं हुई है। जयेशभाई ने जोर का झटका सिनेमाघर में बहुत ही धीरे से दिया है।
 

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फिल्म जयेशभाई जोरदार की कहानी
जयेशभाई जोरदार फिल्म लिंग भेदभाव पर आधारित है यह तो हम सभी ने फिल्म के ट्रेलर में देखा था लेकिन जयेशभाई जिस गांव में रहते हैं वहां का सरपंच (बोमन ईरानी) अलग ही लेवल का रूढीवादी है। गांव के सरपंच से जब लड़कियां लड़कों के द्वारा छेड़े जाने की शिकायत करती है तो सनकी सरपंच लड़कियों का साबून से नहाना बंद करने का फरमान जारी कर देता है। क्योंकि उसका मानना है कि लड़की खूशबू वाले साबुन से नहाकर निकली है तो लड़के उन्हें छेड़ते हैं। वहीं रूढ़ीवादी सरपंच का बेटा जयेशभाई (रणवीर सिंह) है और उसकी पत्नी मुद्रा (शालिनी पांडे) है। जयेशभाई की एक बेटी है लेकिन एक बेटी के बाद परिवार चाहता है कि उसके घर के वारिस का अब जन्म हो। लड़के की चाह में उसकी सास (रत्ना पाठक) मुद्रा का पांच बार अबोशन करवा चुकी है क्योंकि डॉक्टर ने  लिंग जांच में बताया कि पेट में लड़की है। इस बार मुद्रा फिर से प्रेगनेंट हैं। इस बार भी डॉक्टर ने बता दिया है कि 'कृष्णा नहीं' बल्कि 'माता जी आने वाली हैं घर में', छठी बार जयेशभाई ठान लेते हैं कि वह मुद्रा का गर्भपात नहीं करवाएंगे। वह अपने परिवार, सामाज और इस सोच से दूर भागने की तैयारी करता है और पत्नी-बेटी को लेकर भाग जाता है लेकिन सरपंच जयेश को पकड़े के लिए ऐंडी-चोटी का जोर लगा देता है। अब क्या जयेशभाई की दूसरी बेटी दुनिया में आएगी या नहीं इसे जानने के लिए आपको 120 मिनट की फिल्म देखनी पड़ेगी। 
 

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फिल्म के कलाकार और कलाकारी
फिल्म की कास्ट काफी शानदार है। रणवीर सिंह, शालिनी पांडे, रत्ना पाठक, बोमन ईरानी जैसे दिग्गज कलाकार फिल्म में दिख रहे हैं। फिल्म की उलझी कहानी को इन कलाकारों ने अपनी एक्टिंग के दम पर ही चलाया है। किसी की एक्टिंग में कहीं भी कोई कमी नहीं है लेकिन अलग कहानी ही बिना सिर पैर के होगी तो कलाकार भी क्या ही कर सकते हैं। रणवीर सिंह का गुजराती बोलने का स्टाइल आपको काफी पसंद आएगा। वहीं सरपंच के किरदार में आपको बोमन ईरानी भी काफी अच्छे लगेंगे। शालिनी ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। सभी कलाकारों पर कमजोर कहानी काफी भारी पड़ गयी है।
 
 जयेशभाई जोरदार के डायरेक्शन ने किया काम खराब
 जयेशभाई जोरदार का डायरेक्शन दिव्यांग ठक्कर ने किया है। गुजराती फिल्मों में उन्हें पहले से भी काफी एक्सपीरियंस है। शायद लगता है दिव्यांग ठक्कर बॉलीवुड में अपना सिक्का नहीं जमा पाए। वे गच्छा खा गए। लिंग भेदभाव पर पहले भी सेकड़ों फिल्में बनीं हुई है बॉलीवुड में लेकिन इस बार वह कुछ नया नहींकर पाये हैं।  अच्छी बात ये रही कि उन्होंने अपनी तरफ से ज्यादा भूमिका बांधने की कोशिश नहीं की, सीधे मुद्दे पर आए, लेकिन साथ में कहानी लाना शायद भूल गए. इसी वजह से जयेशभाई 'जोरदार' होने के बजाय बोरिंग से हो गए।

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