प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने उनका वेतन रोकने संबंधी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की टिप्पणी के बाद घाटी से तबादले की मांग को लेकर महीनों से जारी अपना विरोध प्रदर्शन बुधवार को तेज कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह बेहतर होगा कि सरकार उन्हें बर्खास्त कर दें, क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध संगठन द्वारा कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की ‘हिट-लिस्ट’ (हत्या के लिए चुने गए लोगों की सूची) प्रकाशित किए जाने के मद्देनजर उचित सुरक्षा न होने पर वे घाटी में काम पर नहीं आएंगे।
इससे पहले, सिन्हा ने तबादले के लिए प्रदर्शन कर रहे सरकारी कर्मचारियों को बुधवार को यह स्पष्ट संदेश दिया कि काम पर न आने वालों को वेतन नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि घाटी में सेवारत कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय किये गये हैं। अपने दो सहकर्मियों की लक्षित हत्या के बाद मई में जम्मू के लिए घाटी छोड़ने वाले प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों और जम्मू में तैनात आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों के जारी प्रदर्शन के बीच सिन्हा ने यह टिप्पणी की।
उपराज्यपाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे हड़ताल पर हैं और मैं उनके साथ निरंतर संपर्क में हूं तथा उनके सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए गंभीर प्रयास किये हैं। उनमें से लगभग सभी को जिला आयुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और अन्य सरकारी पदाधिकारियों के परामर्श से जिला मुख्यालयों में स्थानांतरित किया गया है।’’ सिन्हा ने कहा, ‘‘हमने उनके (प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के) 31 अगस्त तक के वेतन को मंजूरी दी है, लेकिन काम पर नहीं आने के कारण इसकी अदायगी नहीं की जा सकती। यह उन्हें एक स्पष्ट संदेश है तथा उन्हें इसे सुनना और समझना चाहिए।’’
इसके जवाब में, घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने यहां प्रेस क्लब के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने उनके प्रति प्रशासन के ‘‘सौतेले व्यवहार’’ को दर्शाने वाली तख्तियां लेकर अपने स्थानांतरण की मांग को लेकर नारे भी लगाए। एक प्रदर्शनकारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बयान है। सरकार के लिए यह बेहतर होगा कि हम सभी को बर्खास्त कर दिया जाए। हम (कार्यस्थल पर) सेवाएं देने घाटी नहीं जाएंगे। हमारा जीवन नौकरियों से ज्यादा महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनका वेतन रोकना चाहती है तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे वेतन का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण के लिए किया जाना चाहिए।’’ प्रदर्शनकारी ने यह भी कहा कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति का प्रतीक नहीं बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार द्वारा बनाई गई स्थिति के कारण ऐसे हालात में हैं। हम पिछले एक दशक से घाटी में रह रहे थे, लेकिन हमें मारने के लिए हिट-लिस्ट अब जारी की जा रही हैं। क्या आप चाहते हैं कि मैं कश्मीर जाऊं और मारा जाऊं।’’
आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध समूह ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ)’ से जुड़े एक ब्लॉग में उन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की एक अलग सूची जारी की गई है, जिनकी भर्ती प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज (पीएमआरपी) के तहत हुई थी। उन्हें धमकी दी गई है कि उनकी कॉलोनियों को कब्रिस्तान में बदल दिया जाएगा। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘हमारी रक्षा कौन करेगा? हमें चुन कर हमारी हत्या किए जाने से बचाने में प्रशासन विफल रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...हम चाहते हैं कि सरकार हमें आश्वस्त करे कि भविष्य में कोई भी कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के निशाने पर नहीं आएगा। अगर वे इस तरह का आश्वासन देने की स्थिति में नहीं हैं, तो कृपया हमारी मांग स्वीकार करें और हमें कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करें।
Kashmiri pandit employees target lt governor over salary statement
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