Jammu-Kashmir news: Kashmiri Pandits को मिली आतंकी धमकी, Mehbooba Mufti का सवाल, कैसे लीक हुई जानकारी?
जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा एक बहुत बड़ी चिंता है। इसका कारण यह है कि कश्मीर घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों को एक आतंकवादी संगठन से धमकी मिली है। इसको लेकर उनमें दहशत भी है। अब इसी को लेकर लगातार सवाल उठ रहा है कि आखिर कश्मीरी पंडितों के नाम लिक कैसे हुए हैं? जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी सरकार से यही सवाल पूछा है। अपने बयान में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ये अफसोस की बात है कि कश्मीरी पंडितों की जानकारी सरकारी दफ्तरों से लीक हो रही है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इसकी जिम्मेवार यहां की सरकार है, सरकार को जवाब देना चाहिए। सरकार कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा देने में नाकाम हो गई है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस का भी बयान सामने आया है। कांग्रेस के हरीश रावत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा देने में वर्तमान सरकार नाकाम रही है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये स्थितियों का फायदा उठाना चाहते हैं लेकिन कश्मीर में पंडितो की वापसी के लिए पिछले 8 सालों में कोई प्रयास दिखाई नहीं दिए हैं। वहीं, आम आजमी पार्टी ने कहा कि कश्मीर में काम कर रहे आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों के साथ ही कश्मीरी पंडित कर्मचारी चुन-चुनकर की जा रही हत्याओं के बाद प्रदर्शन कर रहे हैं और महीनों से सड़क पर हैं, लेकिन भारत सरकार के साथ ही जम्मू कश्मीर सरकार मूक दर्शक है। आप के प्रवक्ता प्रताप जामवाल ने राज्य में कर्मचारियों पर आतंकवादी हमले के खतरे पर जम्मू कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार की चुप्पी की आलोचना की।
आपको बता दें कि पिछले दिनों आतंकवादियों द्वारा चुन-चुनकर लोगों की हत्या किये जाने के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज (पीएमआरपी) के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं। इसके अलावा 200 से अधिक दिन से स्थान परिवर्तन की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) के एक ब्लॉग में हाल ही में पीएमआरपी के तहत कार्यरत 56 कश्मीरी पंडित कर्मियों की एक सूची प्रकाशित की गयी है और उन पर हमले की धमकी दी गयी है। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों में शामिल एक ने कहा कि ‘आतंकवादी समूहों ने पहले हमें धमकी भरे खत भेजे, लेकिन इस बार कर्मचारियों की सूची के साथ चेतावनी जारी की गयी है। इससे न केवल प्रदर्शनकारी कर्मचारियों में, बल्कि पूरे समुदाय में डर पैदा हो गया है।
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