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संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में मुख्य मुद्दे अब भी अनसुलझे

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में मुख्य मुद्दे अब भी अनसुलझे

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में मुख्य मुद्दे अब भी अनसुलझे

मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के आधा सफर तय कर लेने के मद्देनजर वार्ताकार इसके समापन तक ठोस नतीजा हासिल करने की उम्मीद में विभिन्न मुद्दों पर समझौते का मसौदा तैयार करने के लिये कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिसे अगले हफ्ते मंत्रियों के समक्ष रखा जाएगा। यहां दो हफ्ते तक चलने वाली यह बैठक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने की व्यापक कोशिशों और वैश्विक तापमान वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) से निपटने में गरीब देशों की मदद करने की विश्व नेताओं की जोरदार अपील के साथ शुरू हुई है।

वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायुमंडल में छोड़े जाने वाली ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा 2030 तक आधी करने की जरूरत है, ताकि 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। पेरिस समझौता में सदी के अंत तक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन इसको कैसे करना है, इसे देशों पर छोड़ दिया गया है। वार्ताकार न्यूनीकरण कार्यक्रम पर एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें उत्सर्जन घटाने के लिए देशों के विभिन्न उपायों को शामिल किया जाएगा। इनमें ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र को शामिल किया गया है।

इनमें से कई संकल्प औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र संकल्पों का हिस्सा नहीं है। इसका यह मतलब है कि सालाना बैठक में उनकी आसानी से समीक्षा नहीं की जा सकती। ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश सभी वित्तीय प्रवाह को पेरिस समझौते के दीर्घकालीन लक्ष्यों के साथ रखना चाहते हैं। वहीं, अन्य देशों को इस पर ऐतराज है। उन्हें अंदेशा है कि यदि वे लक्ष्यों को पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें दिया जाने वाला वित्त रोक दिया जाएगा। बैठक में शनिवार सुबह वितरित किये गये एक प्रस्तावित मसौदा समझौते के मुताबिक कई मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं। ग्रीनपीस की पूर्व प्रमुख जेनिफर मोर्गन ने इस साल की वार्ता को चुनौतीपूर्ण बताया है।

Key issues still unresolved in un climate talks

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