मिस्र के शर्म अल शेख में जारी अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन में शामिल वार्ताकारों ने कहा है कि वे जलवायु कोष स्थापित करने के लिए एक समझौते के करीब पहुंच गए हैं। मालदीव के पर्यावरण मंत्री अमीनात शौना ने शनिवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि आज होने वाले मतदान में इसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिलने की जरूरत है। शौना ने कहा, “इसका मतलब है कि हमारे जैसे देश जिस समाधान की वकालत कर रहे हैं, वह हमें मिल जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं का सामना कर रहे गरीब देश अमीर देशों से जलवायु अनुकूलन के लिए धन देने की मांग कर रहे हैं। गरीब देशों का मानना है कि अमीर देश जो कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं, उसके चलते मौसम संबंधी हालात बदतर हुए हैं। इसलिए उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे मिस्र ने कार्बन प्रदूषण के कारण खराब मौसम के शिकार गरीब देशों को मुआवजा देने के लिए एक कोष स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
हालांकि, इस प्रस्ताव में, तेल और प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के भारत के सुझाव और कोयले के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए पिछले साल हुए समझौते को शामिल नहीं किया गया। मुआवजा प्रस्ताव के मसौदे के अनुसार विकसित देशों से कोष में योगदान के लिए अनुरोध किया जाएगा। इस कोष के लिए अन्य निजी और सार्वजनिक स्रोतों जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से भी धन एकत्र किया जाएगा।
मिस्र के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले वईल अब्दुलमग्ज ने कहा, हम एक महत्वपूर्ण समाधान की ओर बढ़ने में कामयाब रहे हैं। मुझे लगता है कि हम वहां पहुंच रहे हैं। हालांकि, प्रस्ताव में यह सुझाव नहीं दिया गया है कि चीन जैसी प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कोष में योगदान करना होगा। यूरोपीय संघ और अमेरिका भी ऐसी ही मांग कर रहे हैं।
Maldivian minister said negotiators close to agreement on climate fund
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