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मंत्रालय ने कहा- प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन से समयसीमा तय करने में मदद मिलेगी

मंत्रालय ने कहा- प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन से समयसीमा तय करने में मदद मिलेगी

मंत्रालय ने कहा- प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन से समयसीमा तय करने में मदद मिलेगी

कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) का मानना है कि प्रतिस्पर्द्धा कानून में समय-सीमा संशोधन के बारे में किया गया प्रस्ताव संयोजनों के आकलन को त्वरित और समयबद्ध बनाने के साथ-साथ कारोबारों को एक निश्चितता देने में भी मदद करेगा। प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम में संशोधन के लिए पेश विधेयक इस समय संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास विचाराधीन है। आम तौर पर विलय और अधिग्रहण को प्रतिस्पर्द्धा कानून की में संयोजन कहा जाता है।

प्रस्तावित संशोधनों के तहत संयोजन के अनुमोदन की समयसीमा को 210 दिनों से घटाकर 150 दिन करने के साथ ही भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) को संयोजनों के शीघ्र अनुमोदन के लिए 20 दिनों के भीतर प्रथम-दृष्टया राय बनाने का जिक्र किया गया है। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि संयोजन के आकलन की प्रक्रिया को तेज और समयबद्ध बनाने के लिए आकलन की समग्र समय-सीमा को कम करने का प्रस्ताव इस संशोधन विधेयक में रखा गया है।

मंत्रालय ने संसदीय समिति के समक्ष हाल ही में दिए गए एक प्रस्तुतीकरण में कहा, 20 दिनों की समय सीमा प्रथम दृष्टया विचार के बारे में निश्चितता प्रदान करेगी। इसमें नाकाम रहने पर इसे स्वीकृत माना जाएगा। इससे कारोबारों को एक तरह की निश्चितता मिलेगी। मंत्रालय के मुताबिक, सीसीआई ने कहा है कि आम तौर पर 17-18 दिनों के भीतर मंजूरी दे दी जाती है, लेकिन कभी-कभी इसने 30 दिनों से अधिक समय तक प्रथम दृष्टया विचार नहीं किया है।

मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल प्रथम दृष्टया राय लेने की कोई समय-सीमा नहीं है। एक अन्य संशोधन समय पर समीक्षा और संयोजनों को पूरा करने के साथ संशोधनों के प्रस्ताव में लचीलेपन को संतुलित करने का प्रयास करता है। प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 लोकसभा में गत पांच अगस्त को पेश किया गया था। वर्ष 2009 में प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम लागू होने के बाद यह इस कानून में संशोधन का पहला मौका होगा।

Ministry said amendment in competition act will help in setting timelines

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