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तेल-तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख

तेल-तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख

तेल-तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख

मिले-जुले रुख वाले कारोबार के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों और सोयाबीन तेल-तिलहन (सोयाबीन डीगम तेल को छोड़कर), कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट रही, जबकि मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन डीगम तेल और बिनौला तेल कीमतों में मजबूती आई। सामान्य कारोबार के बीच बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। मलेशिया एक्सचेंज में फिलहाल लगभग 2.25 प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात 1.5 प्रतिशत टूटा था और फिलहाल यहां कारोबार का रुख सामान्य है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि ग्राहकों को लगभग छह रुपये किलो सस्ता खाद्य तेल मिले इस मकसद से सरकार ने तेल रिफाइनिंग करने वाली कंपनियों को सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के एक निश्चित मात्रा में शुल्कमुक्त आयात की छूट दी थी। लेकिन बाजार में इस कदम से विरोधाभास जैसी स्थिति पैदा हो गई है। जिस खाद्य तेल (सीपीओ और पामोलीन) का शुल्क अदायगी करने के बाद आयात हो रहा है वह थोक बाजार में लगभग एक रुपये किलो सस्ता बिक रहा है और सोयाबीन डीगम जैसे जिस खाद्य तेल को कोटा प्रणाली के तहत शुल्कमुक्त आयात करने की छूट मिली हुई है वह थोक बाजार में 10-12 रुपये किलो ऊंचा बिक रहा है।

सूत्रों ने कहा कि यह भी अजीबो-गरीब बात है कि जो देश अपनी 60 प्रतिशत खाद्य तेलों की जरुरत के लिए इनके आयात पर निर्भर हो वहां की खाद्य तेल प्रसंस्करण करने वाली मिलों के सामने अस्तित्व बचाने का संकट हो। एक कारण तो यह समझ आता है कि बंदरगाहों पर सस्ते आयातित तेलों की भरमार है और इसके कारण देशी तेलों के दाम पर भारी दबाव है। इनके सामने देशी तिलहनों का खपना मुश्किल हो रहा है और देशी तिलहनों के दाम कम बोले जा रहे हैं।

देशी तिलहनों की कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कपास नरमा की जो आवक पिछले साल इस समय लगभग दो लाख गांठ की होती थी वह आज घटकर लगभग 80-85 हजार गांठ रह गई है। इसका असर मुर्गीदाने के लिए उपयोग होने वाले डीआयल्ड केक (डीओसी) और पशुआहार में उपयोग होने वाले ‘खल’ पर भी हो रहा है। सस्ते आयातित तेल के सामने बेपड़ता होने से सोयाबीन पेराई के बाद अधिक लागत वाले खल का निर्यात नहीं हो पा रहा और उसका स्टॉक जमा होता जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि शुल्कमुक्त आयात की छूट उन प्रसंस्करण करने वाली साल्वेंट मिलों को दी जानी चाहिये थी जो डीओसी का निर्यात करें। इस छूट से निर्यातोन्मुख साल्वेंट मिलें, स्थानीय किसानों से महंगे में भी तिलहन खरीदकर इस कमी की भरपाई डीओसी के निर्यात से कर लेतीं और तेल की उपलब्धता भी बढ़ती। ये मिलें पूरी क्षमता से काम करतीं। सूत्रों ने कहा कि सरसों की आगामी बंपर फसल होने की उम्मीद से सरसों कीमतों पर दबाव है।

बंपर फसल की संभावना के कारण सरसों के बचे स्टॉक निकाले जाने तथा सस्ते आयातित तेलों के दबाव के कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई। मांग कमजोर रहने और सस्ते आयातित तेलों के दबाव में सोयाबीन तेल-तिलहन में भी गिरावट आई। मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर रहने से सीपीओ और पामोलीन के भाव भी कमजोर हो गये। उन्होंने कहा कि निर्यात की मांग और खाने की मांग होने से मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार आया। दूसरी ओर मंडियों में आवक घटने की वजह से बिनौला तेल कीमतों में भी मजबूती आई।

शॉर्ट सप्लाई के कारण सोयाबीन डीगम तेल में भी मजबूती दिखी। सामान्य कारोबार के बीच बाकी तेल तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे। बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 6,935-6,985 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,635-6,695 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,650 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,480-2,745 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,110-2,240 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,170-2,295 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,900 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,650 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,200 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,350 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,675-5,775 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,420-5,440 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

Mixed trend in oil and oilseeds prices in market

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