विदेशी बाजारों में मिले जुले रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट आई जबकि सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन डीगम तेल में मामूली सुधार आया। किसानों के कम भाव पर बिकवाली नहीं करने और सस्ते आयातित तेलों के कारण सोयाबीन तिलहन,सोयाबीन इंदौर तेल, कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतें पूर्वस्तर पर रही। मलेशिया एक्सचेंज में 0.75 प्रतिशत की मामूली तेजी थी और शिकॉगो एक्सचेंज कल रात मजबूत बंद हुआ था और फिलहाल इसमें लगभग एक प्रतिशत की गिरावट है।
बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों के कारण सरसों, मूंगफली तेल तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट है। पहले से जमा भारी स्टॉक होने के बावजूद किसान नीचे भाव में कपास नरमा और सोयाबीन दाना नहीं बेच रहे हैं। हालांकि इन दोनों फसलों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक हैं। चूंकि किसानों को पिछले वर्ष इन फसलों के अच्छे दाम मिले थे, अत: वे अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में अपना फसल रोके हुए हैं। सोयाबीन की आवक पहले के आठ लाख बोरी से घटकर लगभग पांच लाख बोरी रह गई जबकि कपास-नरमा की आवक पहले के लगभग दो लाख गांठ से लगभग एक लाख गांठ रह गई।
सूत्रों ने कहा कि सरसों, मूंगफली और कपास की छोटी तेल मिलें तथा महाराष्ट्र के सोयाबीन संयंत्र बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं। ये सभी सस्ते आयातित तेल से परेशान हैं। इसके अलावा किसान अपनी उपज नीचे भाव में इन्हें बेच नहीं रहे हैं जिससे इनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि सीपीओ पर 5.5 प्रतिशत और पामोलीन पर 12.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने के बाद भी इन दोनों तेलों के कारण मुद्रास्फीति कम हुई है। इन तेलों के लिए कोई कोटा प्रणाली न होने से कोई भी उद्योग या आयातक समान शुल्क अदायगी करके मनचाही मात्रा में आयात कर सकते हैं।
लेकिन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के आयात में कोटा प्रणाली लागू है, लेकिन इन तेलों को उपभोक्ता महंगे में खरीदने को बाध्य हैं। सरकार ने कोटा प्रणाली को इसलिए लागू किया था कि उपभोक्ताओं को ये खाद्यतेल सवा छह रुपये किलो सस्ता मिले पर फिलहाल दोनों ही तेल खुदरा बाजार में 35-40 रुपये लीटर महंगा मिल रहे हैं। इसी कारण से मूंगफली और सरसों जैसे हल्के तेल का अधिकतम खुदरा मूल्य भी क्रमश: 60-70 रुपये और 30-40 रुपये लीटर अधिक है। सूत्रों के अनुसार तेल उद्योग पूरी क्षमता से नहीं चल पाने के कारण खल और डीआयल्ड केक (डीओसी) महंगा होने से दूध, अंडा, पनीर, मक्खन और मुर्गीमांस आदि पिछले कुछेक महीनों में महंगे हुए हैं।
तेल आयात बढ़ेगा तो खल एवं डीओसी की कमी होगी और खुदरा मुद्रास्फीति पर असर डालेंगी। वायदा कारोबार में बिनौला खल के भाव तीन चार माह के दौरान 26 प्रतिशत बढ़ गये हैं जिससे दूध लगभग 10 प्रतिशत महंगा हो गया है। शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 7,010-7,060 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,435-6,495 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,100 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,430-2,695 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,950 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,120-2,250 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,180-2,305 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,500 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,150 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,525-5,625 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,335-5,385 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
Mixed trend in the prices of oil and oilseeds
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero