प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि विनिर्माण के क्षेत्र में भारतीय इस्पात उद्योग द्वारा हासिल की गई दक्षता के कारण पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को घरेलू क्षमता और प्रौद्योगिकी की मदद से बनाया जा सका। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में सभी के प्रयासों से भारतीय इस्पात उद्योग दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि अभी भी इसमें विस्तार की अपार संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को दोगुना किया जाएगा। प्रधानमंत्री गुजरात स्थित आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के प्रमुख संयंत्र के विस्तार के भूमि पूजन समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये शामिल हुए। यह संयंत्र सूरत जिले के हजीरा में स्थित है। उन्होंने कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि पहले भारत को रक्षा क्षेत्र के लिए उच्च श्रेणी का इस्पात आयात करना पड़ता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
मोदी ने कहा कि भारत ने अगले 9-10 वर्षों में कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को मौजूदा 15.4 करोड़ टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने उद्योग के लिए विस्तार का रास्ता खोला है और आत्मनिर्भर भारत पहल को ताकत दी है। उन्होंने कहा, इस वजह से हम उच्च श्रेणी के इस्पात की उत्पादन क्षमता बढ़ाने और इसके आयात को कम करने में सफल हुए हैं। महत्वपूर्ण और रणनीतिक अनुप्रयोगों में इस उच्च श्रेणी के इस्पात का उपयोग बढ़ गया है।
आपके सामने आईएनएस विक्रांत का उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) के वैज्ञानिकों ने विमानवाहक पोत में इस्तेमाल होने वाले विशेष इस्पात को विकसित किया है और भारतीय कंपनियों ने हजारों टन उच्च श्रेणी वाले मिश्र धातु का उत्पादन किया है। उन्होंने कहा, आईएनएस विक्रांत को पूरी तरह स्वदेशी क्षमता और प्रौद्योगिकी के साथ बनाया गया है। ऐसी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए, देश ने अब कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
इस समय हम हर साल 15.4 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि अगले नौ से 10 वर्षों में इसे बढ़ाकर 30 करोड़ टन किया जाए। उन्होंने कहा कि विमानवाहक पोत के निर्माण के लिए अन्य देशों पर भारत की निर्भरता सही नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा, इन परिस्थितियों को बदलने के लिए, हमें आत्मनिर्भर बनने की जरूरत थी, और भारतीय इस्पात उद्योग ने इस चुनौती को स्वीकार किया। मोदी ने कहा कि भारत तेजी से दुनिया का सबसे बड़ा इस्पात विनिर्माता बनने की ओर बढ़ रहा है और सरकार इस क्षेत्र के लिए आवश्यक नीतियां और अनुकूल माहौल बनाने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि उद्योग कार्बन उत्सर्जन की चुनौती का सामना कर रहा है, और इसलिए सरकार पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि हजीरा संयंत्र के विस्तार में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा, जिससे गुजरात और देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इस विस्तार के बाद हजीरा संयंत्र में कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता 90 लाख टन सालाना से बढ़कर 1.5 करोड़ टन सालाना हो जाएगी।
Modi said ins vikrant an example of efficiency of indian steel industry
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero