पाकिस्तानी सेना के नये प्रमुख कहीं जोश-जोश में कोई गलती ना कर बैठें
पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ असीम मुनीर ने कहा है कि भारत की नापाक हरकत का जवाब दिया जाएगा। अपनी एक−एक इंच जमीन की सुरक्षा करने में पाक सेना सक्षम है। उन्होंने ठीक ही कहा है। यही उन्हें कहना भी चाहिए, किंतु ये ध्यान रखना चाहिए कि वे जो करें, अपने देश की सीमा में रहकर करें। सीमा से बाहर भारत की ओर तांक−झांक भी न करें। खुराफात करने की तो सोचे भी नहीं। गत सप्ताह मंगलवार को असीम मुनीर पाकिस्तान के 17वें आर्मी चीफ बन गए। जनरल कमर जावेद बाजवा छह साल बाद इस पोस्ट से रिटायर हो गए। बाजवा ने रावलपिंडी हेडक्वॉर्टर में बैटन ऑफ कमांड या कमांड स्टिक फोर स्टार रैंक पाने वाले असीम मुनीर को सौंपी।
सेरेमनी में लोगों को संबोधित करते हुए बाजवा ने असीम मुनीर के साथ अपने काम के 24 सालों को भी याद किया। असीम मुनीर पुलवामा आतंकवादी हमले के दौरान आईएसआई चीफ थे। उस दौरान वह भारत में आतंकवादी घटनाओं का अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं। आज जब वह पाकिस्तान सेनाध्यक्ष बने हैं तो हालात बदले हैं। उनकी खुराफात के बाद भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में दो बार सैन्य स्ट्राइक भी की। अपने पर हमला करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए आज भारतीय सेना को खुली छूट है। ऐसे में उनकी जरा-सी भी हिमाकत पाकिस्तान के लिए ज्यादा नुकसानदेह हो सकती है। वह ऐसे समय में पाकिस्तान के आर्मी चीफ बने हैं, जबकि पाकिस्तान की अंदरूनी हालत बहुत खराब है। वह बुरी तरह कर्ज में जकड़ा हुआ है। अपनी जरूरत के लिए दुनिया के सामने कर्ज के लिए कटोरा लिए घूम रहा है। महंगाई चरम सीमा पर है। इसके अलावा हाल में आई बरसात और बाढ़ ने उसकी कमर तोड़ कर रख दी। हालात यह हैं कि वहां बीमारों को दवा और जरूरत का सामान भी उपलब्ध नहीं है।
उधर पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान का विरोध बढ़ रहा है। पाक सेना की ज्यादती को लेकर वहां की जनता अपना विरोध जताती और प्रदर्शन करती रही है। पाक अधिकृत कश्मीर के युवा आजादी की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। उनका आंदोलन जारी है। इस पद को संभालने के दौरान उन्हें ये भी ध्यान रखना होगा कि भारत की जनता पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर कब्जे की मांग कर रही है। जनता सरकार पर दबाव भी बनाए हुए है। पाक अधिकृत कश्मीर में भी हालत पहले ही ठीक नही हैं। वहां की जनता आजादी की मांग को लेकर आंदोलनरत है, ऐसे में उनकी जरा-सी गलती उन्हें उम्र भर पछताने को मजबूर कर सकती है। आज पाकिस्तान की ओर से जरा-सी भी खुराफात हुई तो उसे भारत के कड़े प्रतिरोध का सामना करना होगा। हो सकता है कि बांग्लादेश की तरह उसे अधिकृत कश्मीर से भी हाथ धोना पड़े।
सेवानिवृत आर्मी चीफ बाजवा ने पद छोड़ने से पूर्व देश के लिए आपने संदेश में कहा कि अब तक सेना का राजनीति में पूरा दखल रहा है। अब नहीं होगा। जनरल बाजवा ने रिटायरमेंट के ठीक पहले यूएई के अखबार ‘गल्फ न्यूज’ को एक इंटरव्यू दिया। फौज और पाकिस्तान के मौजूदा हालात से जुड़े अहम सवालों के जवाब दिए। कहा- मुझे ये मानने में कोई गुरेज नहीं कि पाकिस्तान के तमाम फैसलों में फौज का अहम रोल रहा है। इतिहास गवाह है कि फौज का सियासत में दखल रहा। शायद यही वजह है कि हमें एक इदारे (विभाग) के तौर पर कई बार कड़ी आलोचना का भी शिकार होना पड़ा। बाजवा ने आगे कहा- अब हमने फैसला कर लिया है कि फौज हर हाल में सियासत से दूर रहेगी। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा और इससे भी बड़ी बात यह होगी कि सेना को मुल्क में इज्जत मिलेगी और इसमें इजाफा होगा। हर फौजी भी तो यही चाहता है। उन्होंने कहा कि मुल्क के 70 साल के इतिहास में पहली बार हमने सियासत से दूरी बनाने का फैसला किया है। मेरा मानना है कि इससे फौज को इज्जत मिलेगी और उसका सम्मान बढ़ेगा।
बाजवा साहब जो कह रहे हैं उन्हें समझना होगा कि सेवानिवृति के बाद उनकी कौन सुनता है। अब तक तो उन्होंने राजनीति का सुख उठाया। पद पर रहते कभी ये बात नहीं की। पद छोड़ने का समय आया तो बात कर रहे हैं कि सेना राजनीति से दूर हो। वैसे भी पाकिस्तान की सियासत में हमेशा से फौज ही ताकतवर रही है। उसके रसूख और दबदबे के आगे सियासत करने वाले छोटे पड़ते रहे हैं। यही वजह है कि 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद करीब-करीब आधा वक्त यहां मिलिट्री शासन रहा। अब जब वह सेवानिवृत हो गए तो उनकी कौन सुनता हैॽ जिसके मुंह मुफ्त का खून लग जाता है, वह उसे क्यों छोड़ना चाहेगा। बाजवा ने अपने कार्यकाल में क्या−क्या किया, किसे नहीं पाता। बाजवा और पत्नी आयशा की प्रॉपर्टी को लेकर पाकिस्तान में काफी सवाल उठ रहे हैं। महज छह साल में आयशा शून्य से 250 करोड़ रुपए की मालकिन हो गईं। ये सरकारी आंकड़ा है। क्या आने वाला सेनाध्यक्ष इस सुख से वंचित रहना चाहेगा। पाकिस्तान की सेना में तो करप्शन सभी पदों में फैला है। इतनी जल्दी इसे रोकने की बात करना बेमानी है। ऐसे में सेना को करप्शन करना है, तो राजनीति में अपना दखल बनाकर रखना होगा।
बदले हालात में वह अपने मुल्क में क्या करें, इससे भारत को सरोकार नहीं होगा, न है। भारत को तो वास्ता इससे है कि पाकिस्तान की ओर से चल रहा छद्म युद्ध बंद होता है या नहीं। वहां से प्रशिक्षित कर आतंकवादियों का भारत आना रुकता है या नहीं। हालांकि पाकिस्तान की ओर से रोज ड्रोन से हथियार भेजे जा रहे हैं। आतंकवादी लगातार सीमा पार कर भारत आ रहे हैं। सीमा पार कर आने वालों को मारने का भारतीय सेना का अभियान अनवरत चल रहा है। भारतीय सीमा में प्रवेश करते आंतकवादियों के भारतीय सीमा में आते ही मार दिए जाने की सूचनाएं नियमित रूप से आती रहती हैं। सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में मीडिया से बात करते कहा था कि भारत में घुसपैठ के लिए पाकिस्तानी लॉन्चपैड पर करीब 160 आतंकी मौजूद हैं। पाकिस्तान को आंतकवादी प्रशिक्षण और उसे भारत भेजने पर सख्ती से रोक लगानी होगी।
-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
New chief of pakistani army should not make any mistake in enthusiasm