नयी दिल्ली। मध्य प्रदेश में पिछले साल अप्रैल में दर्ज जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश मामले में एक ताजा चार्जशीट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एनआईए ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन के एक बिहार स्थित ऑपरेटिव "जिहादी साहित्य का उर्दू/अरबी से हिंदी में अनुवाद" किया और प्रभावशाली मुसलमानों के बीच इसे प्रसारित करने के लिए इसे सोशल मीडिया समूहों पर अपलोड किया।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने प्रतिबंधित संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेबीएम) की आतंकी गतिविधियों में शामिल एक आरोपी के खिलाफ शुक्रवार को पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश में भोपाल की एक विशेष अदालत में अली असगर उर्फ अब्दुल्ला बिहारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया।
आरोपी बिहार का रहने वाला है। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के 10 सक्रिय सदस्यों को अब तक गिरफ्तार किया गया है, जिनमें बांग्लादेश के छह अवैध प्रवासी शामिल हैं। यह गिरफ्तारी भोपाल के एसटीएफ पुलिस स्टेशन में पिछले साल 14 मार्च को दर्ज मामले में की गई है।
एनआईए ने पांच अप्रैल को इस जांच का जिम्मा संभाला था।एजेंसी ने पिछले वर्ष सात सितंबर को छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। प्रवक्ता ने कहा कि जांच में पाया गया है कि असगर जेएमबी तथा अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के विचारों से बेहद प्रभावित था और उसका इरादा भारत में उनकी गतिविधियों को बढ़ाना था।
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