विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती आई। केवल सोयाबीन डीगम के भाव पूर्वस्तर पर रहे जबकि अन्य संभी तेल- तिलहनों के भाव ऊंचे बंद हुए। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 2.5 प्रतिशत की तेजी रही। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात 1.5 प्रतिशत तेज था और फिलहाल यहां 0.3 प्रतिशत की तेजी है। सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के कारण सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन (सोयाबीन डीगम तेल को छोड़कर), कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतें मजबूत बंद हुईं।
सोयाबीन डीगम के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। विदेशी बाजारों में तेजी के अलावा जाड़े की मांग तथा मंडियों में तिलहन की आवक घटने के कारण भी तेल कीमतें मजबूत बंद हुईं। आवक घटने की मुख्य वजह किसानों द्वारा अपने माल मंडियों में कम लाना है। हालांकि, जो दाम किसानों को मिल रहे हैं वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक ही है पर लगभग दो वर्ष पहले के 10,000 रुपये क्विंटल के भाव के मुकाबले काफी कम है। इस कम आवक की वजह से तेल प्रसंस्करण मिलें क्षमता से कम पेराई कर पा रही हैं और किसानों के पास स्टॉक जमा है।
इंदौर स्थित तेल संगठन ‘सोपा’ के अध्यक्ष दाविश जैन ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा तेल- तिलहन के वायदा कारोबार पर अगले एक साल के लिए प्रतिबंध बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है और इसे तेल उद्योग, किसान और उपभोक्ता के हित में बताया है। सूत्रों ने देश के सोयामील (खली) के निर्यात में भारी कमी आने का दावा करते हुए कहा कि तेल उद्योगों के प्रमुख संगठन, सोपा के आंकड़ों से पता लगता है कि वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल से नवंबर की अवधि में सोयामील का निर्यात 15.64 लाख टन का हुआ था जो वर्ष 2021-22 में भारी गिरावट के साथ 2.19 लाख टन रह गया।
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले आठ महीनों के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 के पहले आठ महीनों में यह निर्यात 3.26 लाख टन का हुआ जो 480 प्रतिशत की गिरावट है। ऐसा इसलिए था कि सस्ते में किसान बेचने को राजी नहीं थे और सोयाबीन के प्रसंस्करण के बाद इसके तेल का निर्यात करने में नुकसान हो रहा था। यानी विदेशी तेलों के मुकाबले गैर-प्रतिस्पर्धी होने के कारण इस तेल को सस्ते में बेचना पड़ रहा था।
सूत्रों ने कहा कि सरकार के शुल्कमुक्त आयात की छूट अगर केवल उन प्रसंस्करण करने वाली तेल मिलों को दी जाये जो बदले में सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) का निर्यात करें तो सरकार को वांछित परिणाम मिलने की संभावना हो सकती है। इससे तेल मिलों को तेल के कारोबार पर थोड़ा नुकसान भी हुआ तो उसकी भरपाई डीओसी के निर्यात से होने वाली आय से पूरी होगी और इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि किसानों के पास बचा हुआ स्टॉक भी बाजार में खप जायेगा और इससे उन्हें आगे बिजाई बढ़ाने का हौसला मिलेगा।
तेल की उपलब्धता भी बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना पैदा होगी। नहीं तो सस्ते आयातित सोयाबीन तेल की मौजूदगी में स्टॉक मंडियों में खपेगा नहीं और जमा होता रहा तो किसान कैसे आगे बिजाई करने का जोखिम मोल लेंगे? देश में एक दिसंबर, 2022 तक सोयाबीन का स्टॉक लगभग 111.71 लाख टन का था। सूत्रों ने कहा कि सरकार सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी और सोयाबीन (रिफाइंड) के खुदरा मूल्य (जो 30-70 रुपये ज्यादा रखे जाते हैं) पर अंकुश लगाये तो मुद्रास्फीति नहीं बढ़ेगी और इससे तेल उद्योग, किसान और उपभोक्ता तीनों को राहत मिलेगी।
बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 7,050-7,100 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,510-6,570 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,300 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,450-2,715 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,145-2,275 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,205-2,330 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,900 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन 2एक्स- कांडला- 9,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,650-5,750 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,460-5,510 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
Oil and oilseeds prices rise amid improvement in foreign markets
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