बैंकरों ने भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा रेपो दर में 0.35 प्रतिशत वृद्धि का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि लगातार पांचवीं बार दर में मामूली बढ़ोतरी, आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच अच्छा संतुलन बनाती है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 करने की घोषणा की है। इस तरह मई, 2022 से रिजर्व बैंक रेपो दर में कुल 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति पिछले कुछ महीनों से लगातार रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, नीति बयान चुस्त-दुरुस्त और दूर की सोच रखने वाला है तथा वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच एक अच्छा संतुलन बनाता है। वृद्धि अनुमानों में मामूली गिरावट से पता चलता है कि मौजूदा अनिश्चित वातावरण में कुछ कह पाना कठित है।
उन्होंने सरकारी प्रतिभूतियों में उनके निवेश के प्रबंधन के लिए बैंकों को दिए गए परिचालन संबंधी लचीलेपन का भी स्वागत किया। बैंकरों के संगठन आईबीए के चेयरमैन ए के गोयल ने कहा कि मौद्रिक नीति काफी हद तक कीमतों को नियंत्रित करने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि चूंकि मुद्रास्फीति के वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में ही चार छह प्रतिशत से नीचे आने की उम्मीद है, इसलिए आगे दरों में सामान्य बढ़ोतरी का अनुमान है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के जरीन दारुवाला ने कहा कि एमपीसी ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने और वृद्धि को समर्थन देने के लिए एक नाजुक संतुलन बनाया है। साउथ इंडियन बैंक के मुरली रामाकृष्णन ने कहा कि यूपीआई पर पहल अधिक व्यापक है और यह डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करेगी।
Opinion bankers appreciate rbis monetary policy said able to control prices
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