संजय राउत ने कहा कि कर्नाटक में घुसेंगे जैसे चीन भारतीय क्षेत्र में घुसा महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद बढ़ने पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने बुधवार को यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया कि जिस तरह चीन भारतीय क्षेत्र में ‘घुसा’, उसी तरह वे भी इस पड़ोसी दक्षिणी राज्य में घुसेंगे। दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में तनाव के बीच, महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा है कि अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई गैर-जिम्मेदाराना बयान देना बंद नहीं करते, तो महाराष्ट्र को अपने बांधों से पड़ोसी राज्य को पानी मुहैया करने के बारे में फिर से विचार करना होगा। एक दिन पहले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता जयंत पाटिल ने कहा था कि महराष्ट्र को कर्नाटक पर नकेल कसने के लिए अपने बांधों की ऊंचाई बढ़ानी चाहिए। राउत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिस तरह से चीन घुसा(भारतीय क्षेत्र में), हम वैसा ही कर्नाटक में करेंगे। हमें ऐसा करने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम वार्ता के जरिये मुद्दे का हल करना चाहते हैं, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री (अपने बयानों से) हर चीज को निशाना बना रहे हैं। महाराष्ट्र में एक कमजोर सरकार है और इसलिए वह उस राज्य (कर्नाटक) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है।’’ देसाई ने नागपुर में विधान भवन परिसर में दिन में संवाददाताओं से बातचीत में कर्नाटक सरकार द्वारा महाराष्ट्र को एक इंच भी जमीन नहीं देने के रुख पर सवाल उठाए। महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद पर अदालत में लंबित एक मामले के लिए कानूनी टीम के साथ समन्वय के लिए कैबिनेट सदस्यों चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई को नोडल मंत्री नियुक्त किया था। कर्नाटक विधानमंडल ने राज्य के रुख को दोहराते हुए कहा है कि सीमा का मुद्दा सुलझा हुआ है और पड़ोसी राज्य को एक इंच भी जमीन नहीं दी जाएगी। कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को सीमा विवाद पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री बोम्मई ने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का सुझाव दिया, जिसमें अपने रुख को दोहराया जाए। देसाई ने कहा कि वह ऐसी टिप्पणियों की निंदा करते हैं और संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसे बयान देना बोम्मई को शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो एक मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की ‘‘उकसाने वाली भाषा’’ का इस्तेमाल करना सही नहीं है और उन्हें इसे रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र धैर्य बनाए हुए है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री को ध्यान में रखना चाहिए कि दक्षिणी राज्य मार्च तथा अप्रैल महीने के शुष्क मौसम के दौरान कोयना और कृष्णा बांधों (महाराष्ट्र में) से पानी की आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर रहता है। देसाई ने कहा, ‘‘ अगर कर्नाटक नहीं रुकता है, तो महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य को पानी की आपूर्ति को लेकर पुनर्विचार करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है। दोनों राज्यों के 1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी है। महाराष्ट्र बेलगावी पर अपना दावा करता है, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा वहां रहता है। वह उन 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं। वहीं, कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट के तहत भाषाई आधार पर किया गया सीमांकन अंतिम है।
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