उत्तर प्रदेश के Prayagraj में आयोजित होगा माघ मेला, Covid 19 महामारी के बाद कई चुनौतियों का होगा सामना प्रयागराज। दो साल कोरोना महामारी की वजह से फीका रहे माघ मेले में इस बार बड़ी संख्या में कल्पवासी आए हैं; लेकिन मेले को भव्य रूप देने के शासन के दावों के इतर मेला प्राधिकरण को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। माघ मेला क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या संचार व्यवस्था को लेकर है। करीब 650 हेक्टेयर क्षेत्र में बसे माघ मेले में गंगोली शिवाला मार्ग पर केवल एक मोबाइल टावर लगा है, जिससे पूरे मेला क्षेत्र में मोबाइल फोन में सिग्नल ना के बराबर आता है। मेला प्राधिकरण के अमीन पंकज कुमार ने बताया कि इस बार स्नान पर्व काफी पहले पड़ गया जिसकी वजह से मोबाइल टावर लग नहीं पाए; प्राधिकरण और मोबाइल टावर लगवाने का प्रयास कर रहा है। प्रदेश सरकार माघ मेला को 2025 में लगने वाले महाकुंभ का पूर्वाभ्यास कह रही है और पिछले वर्ष के 641 हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल मेला क्षेत्र को बढ़ाकर 650 हेक्टेयर किया गया है। लेकिन मेला में मिलने वाली सुविधाओं के लिए मेला कार्यालय में साधु संतों और समाजसेवियों का हुजूम प्रतिदिन देखा जा सकता है। त्रिवेणी संगम आरती सेवा समिति के अध्यक्ष और ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र मिश्रा का कहना है कि माघ मेला मुख्य रूप से कल्पवासियों का मेला होता है और इस वर्ष मेले में 3,000-5,000 संस्थाओं ने अपना शिविर लगाया है। वहीं खाक चौक, दंडी बाड़ा और आचारी बाड़ा में बड़ी संख्या में कल्पवासी महीने भर का कल्पवास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार माघ मेले में बड़ी संख्या में विदेशी भी आए हैं। क्रिया योग आश्रम और इस्कान के शिविरों में इन विदेशी मेहमानों के ठहरने के लिए स्विस कॉटेज की व्यवस्था की गई है। मिश्रा ने बताया कि मेला क्षेत्र कल्पवासियों की संख्या करीब 20 लाख है; लेकिन स्नान पर्व पर मेला प्रशासन स्नानार्थियों में इनकी गिनती नहीं करता। यदि कल्पवासियों को भी गिना जाए तो कुल स्नानार्थियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी। उल्लेखनीय है कि कल्पवास के तहत लोग एक महीना टेंट में गुजारते हैं। दिन में दो बार गंगा स्नान करते हैं और एक समय भोजन करते हैं। बाकी समय वे पूजा पाठ और कथा भागवत सुनकर गुरु के साथ सत्संग करते हैं।
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