भारत का डर दिखाकर अपनी ही जनता को लूट-लूट कर मालामाल हो रहे हैं पाक सेना के अधिकारी
पाकिस्तान की फौज लोकतंत्र को कुचलने और आतंकवाद को प्रश्रय देने के लिए तो पूरी दुनिया में विख्यात है ही, अब उस पर दुनिया की सबसे भ्रष्ट फौज होने का भी आरोप लगा है। पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 से ज्यादा साल हो चुके हैं लेकिन इस देश में आधे से अधिक समय तक सेना का ही शासन रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के सुरक्षा और विदेश नीति मामलों में सेना का दखल शुरू से ही काफी अधिक रहा है। इस बात का फायदा उठाते हुए पाकिस्तानी सेना ने अपनी अवाम को हमेशा यही अहसास दिलाया कि भारत से हम ही तुम्हारी रक्षा कर सकते हैं इसलिए नेताओं से ज्यादा हम पर विश्वास करो। जनता इसी के चलते सरकार से ज्यादा सेना पर ही विश्वास करती रही और इसी विश्वास का फायदा उठाकर पाकिस्तानी सेना के अधिकारी जनता को लूटते रहे हैं।
पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष या सेना अधिकारियों के जो ठाठ-बाट हैं वह किसी और देश में देखने को नहीं मिलते। पाकिस्तान में जनता भले गरीबी में पिसती रहे लेकिन पाकिस्तानी सेना अधिकारियों के ऐशो आराम में कभी कोई कमी नहीं होती। छाती पर बड़े-बड़े मैडल लटकाये पाकिस्तानी सेना अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि आज तक उन्होंने आखिर कौन-सी जंग जीती है? पद से रिटायर होने जा रहे पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बारे में यह खुलासा होना बिल्कुल नहीं चौंकाता कि बाजवा और उनके परिजन सेना प्रमुख के छह साल के कार्यकाल में अरबपति हो गये और उन्होंने कुल 12.7 अरब की संपत्ति अर्जित कर ली। खुलासा यह दर्शाता है कि बाजवा भी अपने पूर्ववर्तियों की तरह ही निकले बल्कि उनसे थोड़ा आगे ही निकले।
हम आपको बता दें कि पाकिस्तान में ‘द फैक्टफोकस’ वेबसाइट ने खुद को ‘आंकड़ों पर आधारित खोजी पत्रकारिता करने वाला पाकिस्तान का डिजिटल मीडिया संस्थान’ बताते हुए जनरल बाजवा और उनके परिवार के 2013 से लेकर 2021 तक के संपत्ति संबंधी दस्तावेज साझा किये हैं। जनरल बाजवा के टैक्स रिकॉर्ड से संबंधित रिपोर्ट के अनुसार, सेना प्रमुख की पाकिस्तान में और पाकिस्तान के बाहर ज्ञात संपत्तियों और व्यवसायों की मौजूदा बाजार कीमत 12.7 अरब रुपये है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जनरल बाजवा की पत्नी आयशा अमजद की संपत्ति 2016 में शून्य थी जो छह साल में 2.2 अरब रुपये हो गयी। रिपोर्ट के अनुसार, सेना प्रमुख की बतायी जा रही संपत्ति में आवासीय भूखंड, व्यावसायिक भूखंड और सेना द्वारा उनके पति को दिये गये घरों का विवरण शामिल नहीं है। साथ ही आपको बता दें कि इस वेबसाइट की रिपोर्ट में बाजवा की जितनी दौलत का खुलासा किया गया है वह टैक्स विभाग के समक्ष घोषित संपत्ति है। अब सोचिये कि किसी सेना प्रमुख की घोषित संपत्ति ही यदि 12.7 अरब है तो अघोषित संपत्ति कितनी होगी?
देखा जाये तो पाकिस्तान सेना के अधिकारी सिर्फ पदों पर रह कर अपने देश को नहीं लूटते बल्कि वह अपने पद पर बैठे-बैठे उसका खूब दुरुपयोग भी करते हैं। ऐसे कई पाकिस्तानी सेना अधिकारी हैं जिन्होंने अपना काला धन अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों, मॉलों, एयरपोर्ट, पेट्रोल पंप, बिजली घर आदि में लगा रखा है। ऐसा नहीं है कि पाकिस्तानी सेना अधिकारियों की इस इन्वेस्टमेंट के बारे में कोई जानता नहीं है। दरअसल खौफ इतना है कि सेना अधिकारियों से जुड़े इन प्रतिष्ठानों पर पाकिस्तान की सरकार हाथ डालने से बचती है। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना की ओर से रक्षा खरीद में घोटाला और विदेशों से मिली मदद का गड़बड़झाला भी आम है।
उधर, देखा जाये तो पाकिस्तान में नये सेना प्रमुख की नियुक्ति काफी मशक्कत के बाद हो पायी है। इससे पहले माना जा रहा था कि सेना प्रमुख की नियुक्ति में देरी पाकिस्तान में राजनीतिक असमंजस और आर्थिक अस्थिरता या तख्तापलट की स्थिति पैदा कर सकती है। शहबाज शरीफ को नये सेना प्रमुख का चुनाव करने में जिस तरह पसीने छूटे उससे यह भी साबित होता है कि पाकिस्तान में होता वही है जो सेना प्रमुख चाहता है। हम आपको बता दें कि नये सेना प्रमुख आसिम मुनीर वर्तमान सेनाध्यक्ष बाजवा के करीबी हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर की नियुक्ति को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए बड़ा झटका भी माना जा रहा है क्योंकि इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहने के दौरान सिर्फ आठ महीने में ही आईएसआई चीफ के पद से आसिम मुनीर की छुट्टी कर दी थी। इसलिए अब देखना होगा कि नये सेना प्रमुख के साथ विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के रिश्ते कैसे रहते हैं? वैसे पाकिस्तान में यह पहली बार हुआ है कि इमरान खान जैसे बड़े कद का कोई नेता अपनी ही सेना के खिलाफ बोला हो। इमरान खान को इस साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें हटाने में सेना ने भूमिका निभाई थी। इमरान खान ने बाजवा पर और भी कई गंभीर आरोप लगाये थे जिसके जवाब में बाजवा ने कहा था कि सेना के धैर्य की भी एक सीमा है।
बहरहाल, इमरान खान ने सेना के हस्तक्षेप और मनमानी के खिलाफ जो आवाज उठाई है उसका परिणाम यह रहा कि पाकिस्तान की जनता भी सेना की मौज मस्ती और मनमर्जी के खिलाफ कई जगह उठ खड़ी हुई है। देखा जाये तो पाकिस्तान की जनता का दबाव यदि सेना पर आया तभी वहां सही मायने में लोकतंत्र आ सकता है। वर्ना दुनिया भर में अलग-थलग पड़ा यह देश और बर्बाद होता रहेगा। इनके फौजी जगह-जगह पिटते रहेंगे और फौज के बड़े-बड़े अधिकारी भारत का डर दिखाकर अपनी ही जनता को लूटते रहेंगे।
-गौतम मोरारका
Pak army officers are getting rich by looting their own people