इस्लामाबाद। जनरल कमर जावेद बाजवा की सेवानिवृत्ति में दो सप्ताह से भी कम समय बचा है और ऐसे में पाकिस्तान सरकार 1952 के एक कानून में संशोधन कर सेना प्रमुख की नियुक्ति और उनके कार्यकाल विस्तार पर प्रधानमंत्री को अतिरिक्त शक्तियां देने का प्रयास कर रही है। मीडिया में बुधवार को आयी खबरों में यह जानकारी दी गई है। पाकिस्तान के मौजूदा सेना प्रमुख बाजवा छह साल पद पर बने रहने के बाद 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इन छह साल में उन्हें एक कार्यविस्तार भी मिल चुका है।
‘द डॉन’ अखबार की खबर के अनुसार, पाकिस्तान सेना अधिनियम (पीएए), 1952 में प्रस्तावित संशोधन प्रधानमंत्री को यह अधिकार देगा कि वह महज एक अधिसूचना जारी करके सेवानिवृत्त होने वाले सेना प्रमुख के कार्यकाल में विस्तार कर सकें, साथ ही इससे कार्यकाल विस्तार की पुरानी जटिल संवैधानिक प्रक्रिया की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी जिसमें राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक थी। खबर में एक वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है, ‘‘मौजूदा कानून के तहत सेना प्रमुख की पुन:नियुक्ति या उनके कार्यकाल विस्तार के लिए सरकार को तय प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है जिसमें रक्षा मंत्रालय इसका प्रस्ताव भेजता है, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा मंजूरी दी जाती है और इसे अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति से मिलती है।’’ पीएए की ‘नियम बनाने की शक्तियां’ शीर्षक वाली धारा 176 की उप-धारा (2-ए) के प्रावधान (ए) में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, कानून के मौजूदा स्वरूप में ‘पुन:नियुक्ति’ शब्द के बाद ‘धारण’ (रिटेंशन, किसी को पद पर बनाए रखना) जोड़ा जाए, वहीं ‘पदमुक्त’ (रिलीज) शब्द के बाद ‘सेवानिवृत्ति’ (रेजिग्नेशन) शब्द जोड़ा जाए।
खबर के अनुसार, प्रस्तावित संशोधन को रक्षा मंत्रालय ने पिछले ही महीने मंजूरी दे दी थी और इसे 11 नवंबर को ‘कैबिनेट कमेटी फॉर डिस्पोजल ऑफ लेजिस्लेटिव केसेज (सीसीएलसी)’ की बैठक में रखा जाना था, लेकिन अज्ञात कारणों से वह रद्द हो गई। अगला सेना प्रमुख बनने की दौड़ में शामिल लोगों में वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर भी बाजवा का कार्यकाल समाप्त होने के महज कुछ ही दिनों के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले हैं। सेना प्रमुख की नियुक्ति अन्य देशों के लिए भले ही सामान्य बात हो, लेकिन पाकिस्तान में यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि सेना प्रमुख के पद के साथ-साथ अपार शक्तियां जुड़ी हुई हैं।
Pakistan government wants constitutional amendment to keep army chief in office
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero