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पाकिस्तानी मीडिया ने कहा कि नए सेना प्रमुख से सेना की गैर-राजनीतिक भूमिका सुनिश्चित करने की उम्मीद है

पाकिस्तानी मीडिया ने कहा कि नए सेना प्रमुख से सेना की गैर-राजनीतिक भूमिका सुनिश्चित करने की उम्मीद है

पाकिस्तानी मीडिया ने कहा कि नए सेना प्रमुख से सेना की गैर-राजनीतिक भूमिका सुनिश्चित करने की उम्मीद है

खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पूर्व प्रमुख एवं वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर की पाकिस्तानी सेना के अगले सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के साथ, देश की मीडिया ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि शक्तिशाली सेना ‘‘गैर-राजनीतिक’’ रहेगी और अपने पूर्ववर्ती द्वारा किए गए वादे का सम्मान करेगी। मुनीर की नियुक्ति के साथ ही तख्तापलट की आशंका वाले देश पाकिस्तान में इस शक्तिशाली पद पर नियुक्ति को लेकर काफी समय से जारी अटकलों पर विराम लग गया। 

पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति के मामले में सेना का काफी दखल रहा है। मुनीर जनरल कमर बाजवा की जगह लेंगे, जो 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। बाजवा को 2016 में तीन साल के लिए सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। साल 2019 में उन्हें तीन साल का सेवा विस्तार दिया गया था। समाचार पत्र ‘डॉन’ ने ‘हार्डेस्ट रीसेट’ शीर्षक से एक लेख में कहा है कि जनरल मुनीर ने महत्वपूर्ण समय पर पदभार संभाला है।

इसमें लिखा गया है, ‘‘सशस्त्र बलों के लिए पाकिस्तान को आंतरिक और बाहरी रूप से सुरक्षित रखने पर ध्यान केंद्रित करना बुद्धिमानी होगी और इसे न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और सबसे बढ़कर लोगों पर छोड़ देना चाहिए कि वे पाकिस्तान का भविष्य तय करें।’’ निवर्तमान जनरल बाजवा ने वादा किया है कि सेना गैर-राजनीतिक रहेगी और उन्होंने बुधवार को अपने अंतिम संबोधन में इसे दोहराया था। जनरल मुनीर की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण समय में हुई है। पाकिस्तान आर्थिक संकट का सामना कर रहा है जबकि वह इस साल की शुरुआत में आई विनाशकारी बाढ़ से उबरने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 से ज्यादा साल हो चुके हैं और देश में आधे से अधिक समय तक सेना का शासन रहा है। ऐसे में देश के सुरक्षा और विदेश नीति मामलों में सेना का काफी दखल रहा है। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने अपने संपादकीय में कहा, ‘‘लोकतांत्रिक व्यवस्था सभी राजनीतिक दलों के लिए एक लाल रेखा होनी चाहिए। अब जबकि चीजें सामान्य हो गई हैं, यह महत्वपूर्ण है कि सभी राजनीतिक दल और राज्य संस्थान अपनी संवैधानिक भूमिका निभाएं और आगे बढ़ने का एक नया रास्ता निकालें।’’

सेना के राजनीति से दूर रहने के दावे की बात करते हुए अखबार ने सलाह दी कि अगर कोई संस्था तटस्थता का दावा कर रही है तो उसका स्वागत करें। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने ‘ट्रिंफ ऑफ मेरिट’ शीर्षक से अपने संपादकीय में कहा, ‘‘देश में कई दशकों में पहली बार सेना प्रमुख का नाम वरिष्ठता के आधार पर सामने आया है। पूर्व में कई बार की तरह इस बार अपनी मर्जी से सेना प्रमुख को नहीं चुना गया है।’’ इसमें जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की नियुक्ति पर भी लिखा गया है, जो जनरल नदीम रजा का स्थान लेंगे। मिर्जा ‘ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ (सीजेसीएससी) के अध्यक्ष होंगे।

Pakistani media said new army chief is expected to ensure non political role of army

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