Festivals

पापांकुशा एकादशी से होते हैं सभी कष्ट दूर

पापांकुशा एकादशी से होते हैं सभी कष्ट दूर

पापांकुशा एकादशी से होते हैं सभी कष्ट दूर

आज पापांकुशा एकादशी है, हिन्दू धर्म में पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है, तो आइए हम आपको पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं। 

जानें पापांकुशा एकादशी के बारे में 
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पापांकुशा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है। इस साल पापांकुशा एकादशी 6 अक्टूबर को है।

पापांकुशा एकादशी में शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से शुरू हो जाएगी, जो कि 06 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, एकादशी व्रत 06 अक्टूबर को रखा जाएगा।

पापांकुशा एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, पापांकुशा एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि, धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं।

इसे भी पढ़ें: तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है बिहार में स्थित मां बगलामुखी पीतांबरी सिद्धपीठ

पापांकुशा एकादशी पर ऐसे करें पूजा 
पंडितों के अनुसार सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। 

भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है आज
पुराणों के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था कि पापांकुशा एकादशी पर भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है. इस दिन पापरूपी हाथी को इस व्रत के पुण्यरूपी अंकुश से वेधने के कारण ही इसका नाम पापांकुशा एकादशी हुआ है. इस दिन मौन रहकर श्रीमद्भागवत का स्मरण तथा भोजन का विधान है. इस प्रकार भगवान की आराधना करने से मन शुद्ध होता है तथा व्यक्ति में सद्-गुणों का समावेश होता है।

पद्मनाभ स्वरूप की उपासना
पापांकुशा एकादशी की विशेषता यह है कि इसमें विष्णु के पदमनाभ स्वरूप की पूजा होती है। पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की उपासना होती है। पापांकुशा एकादशी के व्रत से मन शुद्ध होता है। इस व्रत से जातक के पापों का प्रायश्चित हो जाता है। साथ ही माता-पिता और मित्र को तक पाप से मुक्ति मिल जाती है।

पौराणिक कथा भी है रोचक 
पापांकुशा एकादशी की कथा भी है रोचक। शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर एक क्रूर बहेलियां रहता था। उसने अपनी सारी जिंदगी हिंसा,लूटपाट,मद्यपान और गलत संगति में व्यतीत कर दी। जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है हम तुम्हें कल लेने आएंगे। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा और महर्षि अंगिरा के चरणों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा। महर्षि अंगिरा ने बहेलिये से प्रसन्न होकर कहा कि तुम अगले दिन ही आने वाली आश्विन शुक्ल एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करना। बहेलिये ने महर्षि अंगिरा के बताए हुए विधान से विधि पूर्वक पापांकुशा एकादशी का व्रत किया। इस व्रत पूजन के बल से भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया।

पापांकुशा एकादशी में इस मंत्र का करें जाप 
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।।

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

एकादशी का शुभमुहूर्त
पंडितों के अनुसार अश्विन मास की एकादशी तिथि 5 अक्टूबर को दोपहर 12:00 बजे से आरंभ हो जाएगी और इसका समापन अगले दिन 6अक्टूबर को सुबह 9:40 पर होगा। उदया तिथि 6 अक्टूबर को होने के कारण पापांकुशा एकादशी व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा।

- प्रज्ञा पाण्डेय

Papankusha ekadashi removes all the troubles

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero