Jan Gan Man: देश में चल रहा अंग्रेजों का बनाया पुलिस एक्ट, लगातार बदलाव की उठ रही मांग
भारत के पुलिस एक्ट में लगातार बदलाव की मांग उठती रहती है। हमारी पुलिस आज भी 1861 की एक्ट के हिसाब से परिचालित है। 1861 में जो एक्ट अग्रेजों द्वारा बनाया गया ता, उसका उद्देश्य 1857 जैसे क्रांति को दोहराने से रोकना था। भारत में आजादी के पहली लड़ाई के तौर पर 1857 के विद्रोह को याद किया जाता है। अब सवाल यह है कि भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए, हमने कई बड़ी कामयाबी हासिल कर ली। इंसान चांद तक पहुंच गया। लेकिन आज से लगभग 160 साल पहले लाए गए कानून में बदलाव क्यों नहीं हो रहा है? वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से पुलिस एक्ट को क्यों नहीं बदला जा रहा है? 1861 के बने पुलिस अधिनियम की भूमिका पुलिस की छवि को बनाने और बिगाड़ने में काफी महत्वपूर्ण होती है। अपराध के तौर-तरीकों में बदलाव हो गया। लेकिन पुलिसिया कार्यवाही अभी भी पुरानी ही है। आज हम इसी को समझने की कोशिश करेंगे। यह जानेंगे कि पुलिस एक्ट में बदलाव क्यों नहीं हुआ है? इसमें कहा अड़चने आ रही हैं। हमने बात की प्रसिद्ध अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय से।
वक्तव्य में अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि भारत की पुलिस आज भी 1861 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए पुलिस एक्ट से चल रही है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने मिसाइल बना लिया, कई बड़े रिसर्च हो गए। लेकिन हमारा 1861 का पुलिस एक्ट आज तक नहीं बदला गया। इसका कारण बताते हुए अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि 1861 के पुलिस एक्ट के कारण पुलिस सत्ता की गुलाम बनकर रहती है। अंग्रेजों ने पुलिस को बनाया ही था लोगों को पिटवाने के लिए। ऐसे में कानून 1861 का है तो पुलिस का रवैया भी वही है। जिस तरह की सत्ता चाहती है, पुलिस भी वैसा ही काम करने लगती है। सत्ता अगर चाहेगी तो जिहादियों पर कार्रवाई होगी, सत्ता अगर नहीं चाहेगी तो नहीं होगी। सत्ता चाहेगी तो मिशनरियों पर कार्रवाई होगी वरना नहीं होगी।
अश्विनी उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में साफ तौर पर कहा कि अगर सत्ता चाहेगी, तभी भ्रष्टाचार, अलगाववाद, कट्टरपंथ, माओवाद, नक्सलवाद के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 1861 का जो पुलिस एक्ट है। वह महा घटिया है, इसीलिए जिहादियों पर केरल में कार्रवाई नहीं होती। यह एक घटिया है इस वजह से गरीब का मुकदमा नहीं लिखा जाता। यह कानून इसलिए भी खराब है क्योंकि इसके डर की वजह से लोगों को आत्महत्या करने पर भी मजबूर होना पड़ता है। यह एक घटिया कानून है तभी तो बंगाल जलता रहा और पुलिस चुपचाप देखती रही। अश्विनी वैष्णव ने पुलिस को घटिया बताते हुए कहा कि यही कारण है कि केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड सहित कई राज्यों में मिनी पाकिस्तान तक बन गया है। यह पुलिस एक्ट की ही नाकामी है कि आज भी सड़क किनारे अवैध निर्माण होता रहता है। अवैध मजार मस्जिद के भी निर्माण हो जाते हैं।
अश्विनी उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा है कि इसमें पुलिस की गलती नहीं है। उनके भी बाल बच्चे हैं। रातो रात ट्रांसफर हो जाएगा तो वह कहां जाएंगे। उनके बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा। यही कारण है कि पुलिस सत्ता के लोगों की सुनती है। यह एक्ट सरकार को इतनी शक्ति देता है कि रातों-रात दरोगा का, पुलिस कप्तान का बिना किसी कारण के ट्रांसफर कर देती है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब तक 1861 का पुलिस एक्ट है, तब तक यह सत्ता का गुलाम बन कर रहेगी, तब तक पुलिस आम जनता की सेवा नहीं कर सकती है। एक्ट में बदलाव नहीं होने तक पुलिस सत्ता की रखवाली करती ही नजर आएगी। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि पूरे देश में सत्ता से जुड़े हुए जो अपराधी और माफिया हैं, वह पूरे आराम से रहते हैं। उनके खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पाती।
अश्विनी उपाध्याय ने आगे कहा कि यह कानून तभी बदलेगा, जब लोग सड़क पर उतरेंगे या सोशल मीडिया में लिखना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि जो घटिया चीज होती है, उसका परिणाम भी घटिया होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आप याद करिए अखिलेश यादव के समय में उत्तर प्रदेश की पुलिस आतंकवादियों का मुकदमा वापस ले रही थी। उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा था क्योंकि पुलिस को पता था कि अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो उनका रातों-रात ट्रांसफर किया जाएगा, सस्पेंड हो सकते हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पुलिस रिफॉर्म पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। इस एक्ट को बदलने की चर्चा नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में ऐसा कानून नहीं है। यह सिर्फ भारत में चल रहा है। इसको बदलने के लिए ना पक्ष कहता है और ना ही विपक्ष कहता है।
Police act made by british is going on in the country there is a constant demand for change