राजनीतिक हितों को साधने के लिए हो रहा पुलिस का इस्तेमाल! शाह के बंगाल दौरे के मायने
वैसे तो पिछले सप्ताह कई खबरें सुर्खियों में रही। परंतु भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा की गिरफ्तारी को लेकर जो सियासी हलचल मची, उसकी गूंज चौतरफा सुनाई दे रही है। यही कारण है कि प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने इसी मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की। हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। नीरज कुमार दुबे से बग्गा मामले को लेकर सबसे पहला सवाल तो हमने यही किया कि क्या पुलिस राज्य सरकारों के लिए एक मोहरा बनकर रह गई है? नीरज दुबे इस सवाल का जवाब देते लेकिन उससे पहले उन्होंने यह बात साफ कर दिया कि जिस तरीके से भाजपा नेता बग्गा की गिरफ्तारी हुई है, वह कहीं ना कहीं कानून का खुले तौर पर उल्लंघन था। आम आदमी पार्टी का जिक्र करते हुए नीरज दुबे ने कहा कि वे कहते थे कि हम नई तरह की राजनीति कर रहे हैं, वह वाकई में नई तरह की राजनीति कर रहे हैं। पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी वहां के राजनीतिक विरोधियों से नहीं बल्कि दिल्ली में केजरीवाल के राजनीतिक विरोधियों से निपटने में लग गई है। इसके लिए पंजाब पुलिस का इस्तेमाल किया जा रहा है।
नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि अगर आप अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कुछ भी बोलते हैं, तो पंजाब में मुकदमा दर्ज होता है। हमने देखा है किस तरीके से पंजाब पुलिस कुमार विश्वास के घर पहुंची थी, अलका लांबा के घर पहुंची थी और अब बग्गा को गिरफ्तार करके ले गई थी। कहीं ना कहीं पंजाब पुलिस का दुरुपयोग कर आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के विरोधियों को निपटाने के लिए कर रही है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने एक बड़ा प्रश्न करते हुए यह भी कह दिया कि देखना होगा कि पंजाब को इस वक्त चला कौन रहा है? नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरीके से पंजाब के मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारी तक अरविंद केजरीवाल की क्लास में शामिल हो रहे हैं, उससे साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि पंजाब की सरकार दिल्ली से रिमोट कंट्रोल के जरिए चल रही है। नीरज दुबे ने कहा कि जब आप लोगों से बात करते हैं तो साफ तौर पर पता चल जा रहा है कि आखिर पंजाब में सरकार कौन चला रहा है। यह बात अब पंजाब के लोगों को भी पता चल रहा है और यही कारण है कि केजरीवाल के विरोधियों को लगातार निपटाने की कोशिश की जा रही है।
अब सवाल यह है कि क्या पंजाब पुलिस ने जिस तरीके से बग्गा की गिरफ्तारी की, क्या वह तरीका सही था? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि नियम के मुताबिक जब भी किसी पुलिस को दूसरे राज्य में जाकर किसी की गिरफ्तारी करनी होती है तो वहां के स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी जाती है। लेकिन बग्गा के मामले में ऐसा नहीं हुआ और दिल्ली पुलिस पूरे घटनाक्रम से अनजान थी। उन्होंने इस को लेकर कई उदाहरण भी दिए। अगर आप ने गिरफ्तारी से पहले किस लोकल पुलिस को नहीं बताया तो गिरफ्तारी के बाद आपको बताना होता है। ऐसा भी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर जो नियम और कानून बने हुए है वह पूरी तरीके से स्पष्ट हैं। अगर नियम कानून का पालन नहीं होगा तो सवाल उठेंगे और अब इन सवालों का जवाब पंजाब पुलिस और आम आदमी पार्टी की सरकार को देना है। नीरज दुबे ने इस बात को भी स्वीकार किया कि जिस तरीके से राजनीतिक दलों ने पुलिस को मोहरा बनाकर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, वह वाकई चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले कई राज्यों में आते रहे हैं। यह पुलिस की कार्यशैली पर सवाल ही नहीं उठाते बल्कि राजनेताओं पर सवाल उठाते हैं।
हरियाणा पुलिस की भूमिका
हरियाणा पुलिस की भूमिका को लेकर भी हमने सवाल उठा दिया। हमने पूछा कि मामला पंजाब पुलिस का था, पंजाब पुलिस के बग्गा की गिरफ्तारी की थी। दिल्ली पुलिस को नहीं बताया था। लेकिन हरियाणा पुलिस की इसमें भूमिका कहां से आ गई। इसको लेकर नीरज दुबे ने कहा कि जब दिल्ली पुलिस की ओर से हरियाणा पुलिस को सूचित कर दिया गया कि यहां से किसी का अपहरण हुआ है और उसे हरियाणा के रास्ते पंजाब ले जाया जा रहा है। तो जाहिर सी बात है कि हरियाणा पुलिस को सक्रिय होना ही था। यानी कि एक अपराध को लेकर हरियाणा पुलिस के पास सूचना गई और हरियाणा पुलिस ने उस सूचना के आधार पर कार्यवाही शुरू कर दी। हरियाणा पुलिस के पास सिर्फ और सिर्फ एक मुद्दे था कि किसी का अपहरण हुआ है और वह उसके राज्य की सीमा को पार ना कर पाए। इसी आधार पर हरियाणा पुलिस काम करने लगी। यही कारण था कि हरियाणा पुलिस ने बग्गा को गिरफ्तार करके जा रही पंजाब पुलिस के काफिले को रोक दिया और पूछताछ करने लगी। नीरज दुबे ने कहा कि अपनी राजनीतिक हितों को साधने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उम्मीद है कि नेता इस बात से सबक लेंगे और पुलिस का जो असली काम है, उसे करने देंगे।
अमित शाह के मिशन बंगाल
इसके साथ ही हमने अमित शाह के मिशन बंगाल पर भी चर्चा की। हमने सवाल किया कि बंगाल को लेकर आखिर इस वक्त अमित शाह की रणनीति क्या होगी, क्योंकि वह कहीं ना कहीं भाजपा में लगातार उथल-पुथल मचा हुआ है। इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि अमित शाह का यह बंगाल द्वारा दो लक्ष्यों पर आधारित था। पहला लक्ष्य तो यह था कि जो वहां आंतरिक कहल पार्टी में मचा हुआ है, उसको किसी तरीके से कंट्रोल किया जाए और दूसरा लक्ष्य कार्यकर्ताओं को यह संदेश देना था कि आप संघर्ष करिए और हम साथ हैं। नीरज दुबे ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद अमित शाह बंगाल नहीं गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बंगाल नहीं गए हैं। वह वर्चुअल रुप से कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं। ऐसे में कहीं ना कहीं कार्यकर्ताओं के अंदर का उत्साह और जोश कम हो जाता है। यही कारण है कि अमित शाह का यह बंगाल दौरा उन कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए भी है और साथ ही साथ यह संदेश देने के लिए भी है कि आप संघर्ष करते रहिए, चाहे कितनी भी राजनीतिक हिंसा क्यों ना हो, हम आपके साथ खड़े हैं और हम लगातार सरकार से सवाल करते रहेंगे।
- अंकित सिंह
Police being used to serve political interests