Currentaffairs

कोरोना जाते जाते लोगों के हृदय के साथ बड़ा खिलवाड़ कर गया है, सभी को सचेत रहना होगा

कोरोना जाते जाते लोगों के हृदय के साथ बड़ा खिलवाड़ कर गया है, सभी को सचेत रहना होगा

कोरोना जाते जाते लोगों के हृदय के साथ बड़ा खिलवाड़ कर गया है, सभी को सचेत रहना होगा

कोरोना भले ही अब अंतिम सांसें गिनने लगा हो पर कोरोना प्रभावित इसके दुष्प्रभाव से अभी तक मुक्त नहीं हो पाये हैं। कोरोना प्रभावितों द्वारा दोनों टीकों यहां तक कि बूस्टर डोज लगवाने वाले भी इन दुष्प्रभावों से बच नहीं पा रहे हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार दुनिया के 20 करोड़ लोग कोरोना के साइड इफेक्ट से प्रभावित हो रहे हैं। अचानक दिल का दौरा, भूलने की आदत, सरदर्द, अधिक बाथरूम जाना, अचानक डायबिटिक होना, मनोबल में कमी और इसी तरह के साइड इफेक्ट से दो चार हो रहे हैं। कोरोना दुष्प्रभाव के चलते मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।

हालिया अध्ययनों से यह तो साफ हो गया है कि कोरोना की छाप कहीं जल्दी जाने वाली नहीं है। दरअसल कोरोना का दुष्प्रभाव अब तेजी से सामने आने लगा है। अध्ययनों की मानें तो कोरोना के बाद अचानक हृदय गति रुकने के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है तो दूसरी ओर यह भी साफ हो गया है कि कोरोना से रूबरू हो चुके लोगों में स्मृति लोप या भ्रम की स्थिति भी देखने को मिलने लगी है। हालांकि यह माना जा रहा था कि कोरोना का प्रभाव फेफड़ों पर तेजी से बढ़ते संक्रमण के रूप में देखा गया और इसके कारण कोरोना से अधिकांश मौतें हुई पर पिछले दिनों में कम उम्र में जो साइलेंट अटैक के मामले सामने आए हैं वह अत्यधिक चिंतनीय हैं। पिछले दिनों पारिवारिक फंक्शन में नाचते नाचते मौत हो जाना, जिम में एक्सरसाइज करते करते हार्ट अटैक के कारण मौत या इसी तरह के अनेक मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। एम्स के ताजातरीन अध्ययन ने इसे अतिगंभीर माना है तो विदेशों में कराए गए अध्ययनों की रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करती है।

खासतौर से 30 साल या इससे अधिक उम्र के कोरोना के संक्रमण में आ चुके लोगों को गंभीर हो जाना चाहिए और समय समय पर जांच करवाते रहना चाहिए। यह कोई भयाक्रांत करने की बात नहीं है अपितु कोरोना राक्षस ही ऐसा रहा है कि उसके दुष्प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। फ्रांस के एक शोध के अनुसार कोरोना के बाद अस्पताल के बाहर यानी कि घर पर या अन्य स्थान पर कार्डियक अरेस्ट के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं। फिलाडेल्फिया में 700 लोगों पर अध्ययन करने पर भी कुछ इसी तरह के परिणाम सामने आये हैं। इटली में किए गए शोध के अनुसार इस तरह के मामलों में 70 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है। अमेरिका में किए गए अध्ययन के भी कमोबेश यही परिणाम देखने को मिल रहे हैं। हमारे देश में भी 357 जिलों के करीब 32 हजार कोरोना प्रभावित रहे लोगों का सर्वे किया गया है और इसके दुष्प्रभाव सामने आये हैं।

इसे भी पढ़ें: China Coronavirus: चीन में फिर कोरोना का कहर, जरूरी दवाओं की किल्लत, मेडिकल स्टोर के आगे कतारें, ICU की संख्या बढ़ाई गई

एम्स कार्डियोलोजी विभाग के प्रोफेसर राकेश यादव का कहना है कि कोरोना से गंभीर बीमार हुए लोगों के दिल में दौरे का जोखिम अधिक हो गया है। कोरोना के बाद धड़कन आसामान्य होना, दिल की मांसपेशियों के के कमजोर होने और खून के थक्कों का फेफड़ों तक पहुंच जाना आम होता जा रहा है। ऐसे में ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल और शुगर की समय समय पर जांच कराते रहना जरूरी हो गया है। दरअसल कोरोना प्रभावितों के खून के थक्के जमने का खतरा अधिक हो गया हैं वहीं कोरोना संक्रमितों की दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। यहां तक सामने आ रहा है कि दिल की धड़कन असामान्य होने लगी है। कोरोना से प्रभावित हो चुके लोगों पर एक अन्य अध्ययन में भूलने की समस्या भी सामने आ रही है। विशेषज्ञों की मानें तो यह कोरोना का ही परिणाम हो सकता है। माना यह जाता है कि कोरोना श्वसन प्रणाली को ही प्रभावित करता है और लोग इसी थ्योरी को मानकर चल रहे हैं पर हालिया अध्ययनों में यह भी उभर कर आया है कि कोरोना वायरस संज्ञानात्मक कार्य को भी तेजी से प्रभावित करने लगा है। इसमें दोनों ही तरह के उदाहरण सामने आये हैं एक एकाएक भ्रमित होने का तो दूसरा भूलने का। जो कोरोना से अधिक प्रभावित रहे उनमें मेमोरी स्कोर कम होने की संभावना अधिक देखी गई है।

कोरोना मुक्त होने का सपना संजोए लोगों का यह नया साइड इफेक्ट अधिक चिंता का कारण बनता जा रहा है। यदि हमारे देश में ही बात करें तो पिछले दिनों में साइलेंट कार्डिक अटैक के कारण मौत के अधिक मामले सामने आये हैं। खासतौर से युवाओं पर इसका अधिक असर देखा जा रहा है। जिम में एक्सरसाइज करते करते तो रात को सोते सोते या अस्पताल तक पहुंचते पहुंचते मौत के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यह हमारे यहां ही नहीं अपितु सभी देशों में देखा जा रहा है। इन सब घटनाओं ने चिकित्सा जगत को गंभीर चिंता में डाल दिया है। चिकित्सकों के सामने नई चुनौती आई है पर अब इस सबसे निपटने के लिए प्रभावित लोगों को भी अधिक जागरूक होना जरूरी हो गया है। समय समय पर जांच व चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक हो गया है। कोविड के जो दूरगामी प्रभाव देखने में आ रहे हैं वह कोरोना का आतंक समाप्त होने के बाद का प्रभाव है। ऐसे में इसे गंभीरता से लिया जाना आवश्यक हो गया है। होना तो यह चाहिए कि स्वयंसेवी संस्थाओं को अब अधिक सक्रिय होना चाहिए व गली मौहल्लों में समय समय पर मेडिकल कैंप आयोजित करने चाहिए ताकि अस्पताल या जांच केन्द्र तक नहीं जा सकने वालों तक सुविधाएं सुलभ हो सकें। सरकार को भी मेडिकल शिविरों के प्रति अतिसक्रियता दिखानी होगी ताकि ऐसे हालातों से बचा जा सके। एक बात साफ हो जानी चाहिए कि कोरोना राक्षस अपना असर इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं है ऐसे में सजगता और सतर्कता ही केवल और केवल मात्र निदान है, यह हमें ध्यान रखना ही होगा। यह साफ हो जाना चाहिए कि करीब 51 प्रतिशत लोगों का कहना है उनकी जान पहचान के लोगों में एक या एक से अधिक व्यक्ति गंभीर चिकित्सा हालातों से दो चार हो रहे हैं। ऐसे में चिकित्सा विशेषज्ञों को पोस्ट कोरोना पर विशेष ध्यान देना ही होगा।

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

Post corona heart attack cases increase in india

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero